प्रयागराज (इलाहाबाद) कुंभ में नागा साधु आकर्षण का केंद्र रहते हैं। गंगा की रेत पर बिना वस्त्र के अपनी धुन में मग्न नागा साधु कौतूहल के विषय होते हैं लेकिन नागा बनना बहुत कठिन तपस्या है। नागा बनने की तपस्या इंजीनियरिंग और डॉक्टरी की डिग्री पाने से भी कठिन है। लेकिन इसके बावजूद भी हजारों की संख्या में नागा बनाने का दावा किया जा रहा है। खबरों के मुताबिक कच्छ के 27 वर्षीय रजत कुमार राय ने मेरीन इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। लेकिन ये इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने के बजाय नागा साधु बनने का फैसला किया है।

वहीं 29 साल के शंभु गिरि जो कि यूक्रेन से प्रबंधन में स्नातक हैं। ये भी नागा साधु बनने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा उज्जैन से बारहवीं कक्षा के बारहवीं कक्षा के टॉपर घनश्याम गिरि भी नागा साधु का जीवन जीने के लिए तत्पर हैं। बता दें कि इलाहाबाद में चल रहे कुंभ के दौरान पिछले हफ्ते एक सामूहिक दीक्षा समारोह में हजारों लोग शामिल हुए और नागा साधु परंपरा के अनुसार बाल मुड़वाए। साथ ही रात भर चलने वाले पवित्र अग्नि समारोह में भी शामिल हुए। वे सोमवार को पड़ने वाले मौनी अमावस्या पर पवित्र स्नान के लिए पूरी तैयारी की।

नागा संप्रदाय के अनुसार नागा साधकों को अपने शरीर को तपाने और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रथाओं के एक भाग के रूप में नग्न रहना आवश्यक है। इसके अलावा नागा संप्रदाय से जुड़े कष्टों और कठिन तपस्या के बावजूद भी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अनुमान है इस बार कुंभ में 10,000 से अधिक पुरुष और महिलाएं दीक्षा लेने वाले हैं। वहीं जूना अखाड़े के मुख्य संयोजक और एबीएपी के महासचिव महंत हरि गिरि के अनुसार दीक्षा समारोह केवल कुंभ के दौरान आयोजित किए जाते हैं। जिसमें दीक्षा लेने वालों की संख्या हर अवसर पर हजारों में होती है। नागा बनने की शर्तों के बारे में उनका कहना है कि इसके लिए अलग-अलग जाति-संप्रदाय के लोग शामिल हो सकते हैं जो नागा बनने की तीव्र इच्छा रखते हैं। आगे उनका कहना है कि नागा परंपरा को स्वीकार करने में कई मुसलमान और ईसाई भी हैं। साथ ही कई लोग ऐसे भी हैं जो पहले डॉक्टर या इंजीनियर रहे हैं।