मदन गुप्ता सपाटू

सावन का हर दिन भगवान शिव की आराधना के लिए उत्तम और श्रेष्ठ होता है। आप प्रत्येक दिन विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। सावन में सोमवार व्रत हो या फिर मंगला गौरी व्रत दोनों ही शिव और शक्ति का आशीष प्राप्त करने के साधन हंै। यदि आप किन्हीं कारणों से इन व्रतों को नहीं कर पाते हैं, तो आपको निराश होने की जरूरत नहीं है, आप सावन शिवरात्रि का व्रत रख सकते हैं।

25 जुलाई से श्रावण मास का शुभारंभ हो चुका है। इसके साथ ही त्योहारों का मौसम भी शुरू हो गया है। 11 अगस्त को हरियाली तीज, 13 को नाग पंचमी, 22 को श्रावण पूर्णिमा व रक्षाबंधन, 24 को कजरी तीज, 30 को जन्माष्टमी और 31 अगस्त को गुग्गा नवमी जैसे महत्त्वपूर्ण पर्व आ रहे हैं।
सावन का हर दिन भगवान शिव की आराधना के लिए उत्तम और श्रेष्ठ होता है। आप प्रत्येक दिन विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। सावन में सोमवार व्रत हो या फिर मंगला गौरी व्रत दोनों ही शिव और शक्ति का आशीष प्राप्त करने का साधन है। यदि आप किन्हीं कारणों से इन व्रतों को नहीं कर पाते हैं, तो आपको निराश होने की जरूरत नहीं है, आप सावन शिवरात्रि का व्रत रख सकते हैं। सावन शिवरात्रि व्रत का भी विशेष महत्त्व होता है। सावन शिवरात्रि के दिन व्रत रखते हुए आप भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करें और उनकी कृपा का लाभ उठाएं।

सौभाग्य और आरोग्य के लिए है शिवरात्रि का व्रत

कुंवारे लोगों को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन के कष्ट दूर होते हैं। कहा जाता है कि जिन लोगों के विवाह में अड़चनें आ रही हैं, उन्हें सावन की शिवरात्रि का व्रत जरूर रखना चाहिए। इससे विवाह की अड़चनें दूर होती हैं और मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जो लोग विवाहित हैं, वे इस व्रत को रहें तो उनके वैवाहिक जीवन के संकट दूर होते हैं। सावन की शिवरात्रि का व्रत और इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से शांति, रक्षा, सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि सावन की शिवरात्रि व्रती के सभी पाप को नष्ट कर देती है।

कब है सावन की शिवरात्रि

मासिक शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है। उससे एक दिन पहले प्रदोष व्रत रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस सावन मास के चतुर्दशी तिथि छह अगस्त दिन शुक्रवार को पड़ेगी। चतुर्दशी तिथि छह अगस्त को शाम छह बजकर 28 मिनट पर शुरू होकर सात अगस्त दिन शनिवार को शाम सात बजकर 11 मिनट तक रहेगी। हालांकि शिवरात्रि का व्रत छह अगस्त को रखा जाएगा।

पूजा का शुभ मुहूर्त

शास्त्रों के अनुसार शिवरात्रि के दिन निशिता काल पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है। निशिता काल कुल 43 मिनट का है जो छह अगस्त की रात 12 बजकर छह मिनट से शुरू होकर देर रात 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। अगर आप निशिता काल में पूजा नहीं कर सकते तो इन
शुभ मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं-

छह अगस्त

शाम 07:08 बजे से रात 09:48 बजे तक
रात 09:48 बजे से देर रात 12:27 बजे तक

सात अगस्त

देर रात 12:27 बजे से तड़के 03:06 बजे तक
सुबह 03:06 मिनट से सुबह 05:46 मिनट तक

सात अगस्त को होगा व्रत पारण

शिवरात्रि के व्रत का पारण उसी दिन नहीं किया जाता है। व्रत के अगले दिन किया जाता है। छह अगस्त को सावन की मासिक शिवरात्रि का
व्रत रखा जाएगा, ऐसे में व्रत पारण सात अगस्त को किया जाएगा। सात अगस्त की सुबह 05:46 मिनट से लेकर दोपहर 03:47 मिनट तक के बीच कभी भी व्रत का पारण कर सकते हैं। स्नान के बाद व्रत पारण करें और सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों को दान दें।