Mohini Ekadashi 2025: शास्त्रों में मोहिनी एकादशी का विशेष महत्व है। यह पर्व हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाए जाने का विधान है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। विष्णु पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन से मिले अमृत को लेकर राक्षस और देवताओं के बीच विवाह होने लगा था और असुर अमृत लेकर भाग गए थे। तब भगवान विष्णु ने ही राक्षसों से अमृत लेने के लिए मोहिनी का रूप धरा था। माना जाता है कि विष्णु जी न यह रूप वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन धरा था। इसी के कारण इस एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जानते हैं। जब से ही इस दिन पर व्रत रखा जाने लगा।

मान्यता है इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही जीवन में धन- समृद्धि का वास बना रहता है। आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। वहीं वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई को रखा जाएगा। आइए जानते हैं मोहनी एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त…

मोहिनी एकादशी तिथि 2025

वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 07 मई को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और 08 मई को दोपहर 12 बजकर 28 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में मोहनी एकादशी 08 मई को मनाई जाएगी।

मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त और पारण समय

वैदिक पंचांग के अनुसार मोहनी एकादशी पर दोपहर 02 बजकर 32 मिनट से 03 बजकर 26 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा। इस बीच में आप पूजा अर्चना कर सकते हैं। वहीं मोहिनी एकादशी का पारण 09 मई को किया जाएगा। इस दिन पारण का समय सुबह 05 बजकर 34 मिनट से लेकर 08 बजकर 16 मिनट तक है।

पंचांग 

  • सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 35 मिनट पर
  • सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 01मिनट पर
  • चन्द्रोदय- दोपहर 03 बजकर 22 मिनट पर
  • चन्द्रास्त- देर रात 03 बजकर 30 मिनट पर 
  • ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 10 मिनट से 04 बजकर 53 मिनट तक
  • विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 32 मिनट से 03 बजकर 26 मिनट तक
  • गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 59 मिनट से 07 बजकर 21 मिनट तक
  • निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक

मोहिनी एकादशी का महत्व

मोहिनी एकादशी के दिन जो व्यक्ति व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना करता है, उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही  जन्म और मृत्यु के निरंतर चक्र से मुक्ति प्राप्त करता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं।

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