Durva Ashtami 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी से ठीक 4 दिन बाद यानी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दूर्वा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल ये पर्व 11 सितंबर 2024 को मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने का विशेष फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन गणपति बप्पा को दूर्वा चढ़ाने से व्यक्ति को हर तरह की परेशानियों से निजात मिल जाती है और हर मनोकामना पूरी हो जाती है। इस दिन से संबंधित एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित है। आइए जानते हैं दूर्वा अष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र…

दूर्वा अष्टमी 2024 शुभ मुहूर्त (Durva Ashtami 2024 Shubh Muhurat)

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ – 10 सितंबर 2024 को रात 11:11 बजे से आरंभ
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त- 11 सितंबर को  रात 11:46 बजे तक
पूर्वविद्धा समय –  सुबह 06:03 से शाम 06:28 बजे तक
कुल अवधि – 12 घंटे 25 मिनट

फोटो- Instagram/abhijeeetttt

ऐसे हुई थी दूर्वा की उत्पत्ति

द्रिक पंचांग के दी हुई पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार लिया था और वह मंदराचल पर्वत की धुरी में विराजमान हो गए थे। लेकिन इस पर्व की बहुत तेजी से घूमने से भगवान विष्णु की जांघों में इसकी रगड़ लग रही थी। ऐसे में उनकी जंघा के कुछ रोम निकलकर समुद्र में गिर गये। ऐसे में अमृत के प्रभाव से भगवान विष्णु के रोम पृथ्वी लोक पर दूर्वा घास के रूप में उत्पन्न हुए। इसी के कारण दूर्वा को अत्यन्त पवित्र माना जाता है।

गणेश जी को क्यों चढ़ाते हैं दूर्वा?

दूर्वा घास भगवान गणेश को अति प्रिय है। इसे गांठ के रूप में गणपति बप्पा को चढ़ाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान गणेश से देवताओं की रक्षा के लिए अनलासुर नामक राक्षस को निगल लिया था। लेकिन उसे निगलते हुए गणपति जी के पेट में जलन होने लगी थी। ऐसे में ऋषि कश्यप ने उन्हें खाने के लिए दूर्वा दी थी। जिसके प्रभाव से गणेश जी के पेट की जलन समाप्त हो गई थी।

दूर्वाष्टमी पर ऐसे चढ़ाएं गणपति जी को दूर्वा

इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान आदि करने के बाद साफी वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद गणपति बप्पा की विधिवत पूजा कर लें। उन्हें सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, वस्त्र  आदि पहनाने के साथ भोग लगाएं। इसके बाद उन्हें 21 जोड़े दूर्वा मंत्रों के साथ चढ़ाएं। इसके अलावा आप भगवान गणेश की पूजा में दो, तीन या फिर पांच दूर्वा भी अर्पित कर सकते हैं। 

दूर्वा चढ़ाते समय बोलें ये मंत्र

  • इदं दूर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः
  • ओम् गं गणपतये नमः
  • ओम् एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्
  • ओम् श्रीं ह्रीं क्लें ग्लौम गं गणपतये वर वरद सर्वजन जनमय वाशमनये स्वाहा तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुंडाय धिमहि तन्नो दंति प्रचोदयत ओम शांति शांति शांतिः
  • ओम् वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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