Durga Navami (Maha Navami) 2020 Puja Vidhi, Muhurat, Timings, Mantra: इस साल महानवमी 24 अक्तूबर, शनिवार और 25 अक्तूबर, रविवार को मनाई जाएगी। इस दिन माता के नौ स्वरूपों में से आखिरी स्वरूप यानी देवी सिद्धिदात्री की उपासना की जाती हैं। महा नवमी के दिन ही नवरात्र के व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन सुबह पूजा कर कन्या पूजन किया जाता है। इसके बाद व्रती स्वयं भी भोजन कर अपने व्रतों का पारण करते हैं।
महानवमी पूजा का शुभ मुहूर्त (Maha Navami Puja Ka Shubh Muhurat)
सुबह की पूजा का शुभ मुहूर्त – 24 अक्तूबर, शनिवार – सुबह 5 बजकर 11 मिनट से सुबह 6 बजे कर 28 मिनट तक
शाम की पूजा का शुभ मुहूर्त – 24 अक्तूबर, शनिवार – शाम 5 बजकर 42 मिनट से 6 बजकर 59 मिनट तक
महानवमी पूजा विधि (Maha Navami Puja Vidhi)
महानवमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। साफ कपड़े पहनकर पूजन स्थल पर जाएं।चौकी पर मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा या फोटो विराजित करें।दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं।फिर मां सिद्धिदात्री और मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें।इसके बाद दुर्गा स्तुति या दुर्गा सप्तशती पाठ करें।फिर मां सिद्धिदात्री का ध्यान करें।अब माता की आरती कर जयकारे लगाएं। साथ ही भोग भी लगाएं।ध्यान रखें कि कन्या पूजन का भोग भी पहले देवी दुर्गा को लगाया जाता है।
महानवमी पूजा की सामग्री (Maha Navami Puja Ki Samagri)
कुमकुम, लाल झंडा, पान-सुपारी, कपूर, जयफल, लौंग, मिश्री, बताशे, आम के पत्ते, कलावा, केले, घी, धूप, दीपक, अगरबत्ती, माचिस, ज्योत, मिट्टी, एक छोटी चुनरी, एक बड़ी चुनरी, माता का श्रृंगार का सामान, देवी की प्रतिमा या फोटो, फूलों का हार, उपला, सूखे मेवे, मिठाई, लाल फूल, कन्या पूजन के लिए फल, मिठाई, काले चने, हलवा, पूड़ी, गंगाजल और दुर्गा सप्तशती या दुर्गा स्तुति आदि।
महानवमी का विधान (Maha Navami Rituals)
महानवमी के दिन देवी सिद्धिदात्री की उपासना का विधान हैं। कहते हैं कि जो व्यक्ति सच्चे मन से इस दिन देवी सिद्धिदात्री की आराधना करता है उसे मां सिद्धिदात्री की कृपा से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति देवी सिद्धिदात्री को मना लेता है उसके सभी मनोरथ पूरे होते हैं। कहते हैं कि ऐसा व्यक्ति हर दशा-दिशा में विजय प्राप्त करता जाता है।
पुराणों और शास्त्रों में दशहरे से जुड़ी कई अन्य कथाओं का वर्णन भी मिलता है। लेकिन सबका सार यही है कि यह त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है।मान्यता है कि इस दिन श्री राम जी ने रावण को मारकर असत्य पर सत्य की जीत प्राप्त की थी, तभी से यह दिन विजयदशमी या दशहरे के रूप में प्रसिद्ध हो गया। दशहरे के दिन जगह-जगह रावण,कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं।
दशहरा या विजया दशमी नवरात्रि के बाद दसवें दिन मनाया जाता है। इस दिन राम ने रावण का वध किया था। रावण राम की पत्नी सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। भगवान राम युद्ध की देवी माँ दुर्गा के भक्त थे, उन्होंने युद्ध के दौरान पहले नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा की और दसवें दिन दुष्ट रावण का वध किया।
तमिल नाडु, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक में दशहरा नौ दिनों तक चलता है जिसमें तीन देवियां लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा की पूजा करते हैं। पहले तीन दिन लक्ष्मी-धन और समृद्धि की देवी का पूजन होता है। अगले तीन दिन सरस्वती- कला और विद्या की देवी की अर्चना की जाती है और अंतिम दिन देवी दुर्गा-शक्ति की देवी की स्तुति की जाती है।
इस साल महानवमी 24 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर, अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक रहेगी. ज्योतिर्विद के अनुसार, नवरात्र व्रत का पारण 25 अक्टूबर को ही यज्ञ-हवन आदि से निवृत होकर किया जा सकता है। महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
इस दिन महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा करनी चाहिए। इससे सम्पूर्ण बाधाओं का नाश होगा और जीवन में विजय श्री प्राप्त होगी। इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करना बड़ा फायदेमंद होता है। नवग्रहों को नियंत्रित करने के लिए भी दशहरे की पूजा अद्भुत होती है।
ओम गणेशाय नम: स्वाहा
ओम गौरियाय नम: स्वाहा
ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा
ओम दुर्गाय नम: स्वाहा
ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा
ओम हनुमते नम: स्वाहा
ओम भैरवाय नम: स्वाहा
ओम कुल देवताय नम: स्वाहा
ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा
ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा
ओम विष्णुवे नम: स्वाहा
ओम शिवाय नम: स्वाहा
पूजा करने के लिए प्रार्थना कर शमी के पेड़ की कुछ पत्तियों को तोड़ें और उन्हें पूजा स्थल पर रख दें। लाल कपड़े में अक्षत, एक सुपाड़ी के साथ इन पत्तियों को बांध लें। इसके उपरांत बांधी हुई पोटली को गुरी या बुजुर्ग से प्राप्त करें और प्रभु राम की परिक्रमा करें। विजयदशमी पर अपराजिता के पूजन का भी महत्व है।
हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार 23 अक्तूबर दिन शुक्रवार को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। जो अगले दिन यानी 24 अक्तूबर की सुबह 6 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। नवमी तिथि 24 अक्तूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट से आरंभ हो जाएगी जो 25 अक्तूबर की सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक रहेगी।
शारदीय नवरात्रि के 10वें दिन और दीपावली से ठीक 20 दिन पहले दशहरा आता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयदशमी का त्योहार मनाया जाता है। इस बार विजयदशमी 25 अक्टूबर 2020 को है।
विद्वानों का कहना है कि रावण दहन सूर्यास्त के बाद ही किया जाना चाहिए। बताया जाता है कि पुराणों में भी यह लिखा है कि रावण दहन के लिए रात्रि का समय ही श्रेष्ठ होता है। इसलिए दशहरा पूजन में यह ध्यान रखना चाहिए कि रावण दहन रात्रि में ही किया जाना चाहिए।