Dudheshwara Nath Temple In Ghaziabaad: रैपिडेक्स ट्रेन का उद्घाटन करने आज गाजियाबाद में प्रधानमंत्री पीएम मोदी के साथ उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ पहुंचे। इस खास मौके पर सीएम योगी ने भाषण में गाजियाबाद में स्थित भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जिक्र किया। उन्होंने कहा ‘गाजियाबाद की पावन भूमि में दूधेश्वर नाथ जैसे प्राचीन मंदिर स्थित है।’ वैसे तो देशभर में भगवान शिव के अनेकों मंदिर स्थित है। लेकिन ये मंदिर अपने आप पर काफी खास है। मान्यता है कि इस मंदिर का कनेक्शन लंकापति रावण से हैं। इसके साथ ही मान्यता है कि यह पर स्वयं शिवलिंग प्रकट हुई थी। आइए जानते हैं गाजियाबाद में स्थित बाबा दूधेश्वर मंदिर के बारे में खास बातें।

रावण से है श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर का संबंध

इस मंदिर का संबंध रावण काल से जोड़ा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, पुलस्त्य के पुत्र ऋषि विश्रवा जो रावण के पिता था। उन्होंने हिंडन नदी के किनारे घोर तपस्या की थी। इसी स्थान को दुधेश्वर हिरण्यगर्भ महादेव मंदिर मठ के रूप में जानते हैं। इस स्थान में भगवान शिव स्वयं शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। आज भी यहां पर जमीन से तीन फीट नीचे शिवलिंग मौजूद है।

श्री दूधेश्वर नाथ महादेव की खोज कैसे हुई

इस मंदिर को लेकर एक ओर पौराणिक कथा काफी प्रचलित है। कई साल पहले यहां टीले पर चरवाहे गाय चराने के लिए आते थे। गायों को चरने के लिए छोड़कर वह विश्राम करने के लिए चले जाते थे। टीले के निकट ही एक तालाब था। जहां पर गाय जल पिया करतीं थी |जब गायें टीले पर एक स्थान विशेष पर पहुंचतीं, तो उनके थनों से स्वत:दूध टपकने लगता था। ऐसा क्रम काफी समय तक चलता रहा। जब गाय के मालिक शाम को दूध निकालने की कोशिश करते हैं, तो गायें बिल्कुल भी दूध नहीं देती थी। जब किसी न किसी गाय के साथ ऐसा होता पाया गया, तो उन्होंने सोचा कि यह किसी चरवाहे की करतूत हो सकती है। काफी लंबे समय तक ऐसा होने पर गाय के मालिक ने उस गाय पर नजर रखी। फिर उन्होंने देखा कि एक विशेष स्थान में गायों के थन से अपने आप दूध टपकने लगता था। ये अनोखी घटना को देख सभी चरवाहे हतप्रभ रह गये।

यह पूरा किस्सा ग्वालों ने गांव वालों को आकर बताया। जिसके बाद गाय के सभी लोग उस स्थान में पहुंच रहे थे। वहीं दूसरी ओर कोट नामक गांव में उच्चकोटि के दसनामी जूना अखाड़े के एक सन्यासी सिद्ध महात्मा को भगवान शिव ने स्वप्न में दर्शन दिए और उस स्थान पर पहुंचने का आदेश दिया। प्रातः इधर गाँव वाले लोग पहुंचे और दूसरी तरफ से महात्मा अपने शिष्यों के साथ इस पावन स्थल पर पहुंच गए। इसके बाद खुदाई शुरू की गई। खुदाई के बाद शिवलिंग नजर आएं। इसके बाद उनकी वहां स्थापना करके पूजा की जाने लगी।

मंदिर में बना है अनोखा कुआं

खुदाई करने पर पास ही एक अनोखा कुआं निकला। जिसका जल कभी गंगाजल जैसा ,कभी दूध जैसा सफ़ेद तो कभी मीठा होता था। यह कुआं आज भी सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में विधमान है |

कैसे पहुंचे श्री दूधेश्वर नाथ महादेव

अगर आप दूधेश्वर नाथ महादेव जाना चाहते हैं, तो आप गाजियाबाद के आखिरी मेट्रो स्टेशन शहीद स्थल उतर सकते हैं। वहां से ऑटो या ई-रिक्शा के द्वारा आसानी से मंदिर जा सकते हैं। इसके अलावा आप रैपिड मेट्रो के द्वारा भी जा सकते हैं।