Diwali 2022 Maa Laxmi Puja Muhurat: दिवाली का त्योहार हर साल कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग मांं लक्ष्मी, कुबेर भगवान और भगवान गणेश की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। दिवाली को कालरात्रि भी कहा जाता है। जो तंत्र साधना और उपाय सिद्ध करने के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इस साल दिवाली का त्योहार  24 अक्टूबर दिन सोमवार को मनाया जा रहा है। वहीं इस साल दिवाली पर 5 राजयोग भी बन रहे हैं। ज्योतिष के अनुसार यह योग लगभग दो हजार साल बना है। आइए जानते हैं दिवाली पूजा के शुभ मुहूर्त, योग, माता लक्ष्मी की पूजा विधि और मंत्र के बारे में…

आइए जानते हैं लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

दिन का श्रेष्ठ मुहूर्त:- अमृत का चौघड़िया:- प्रातः 06ः35 से प्रातः 07ः59, शुभ का चौघड़िया प्रातः 09ः23 से प्रातः 10ः47, चर-लाभ-अमृत का चौघड़िया दोपहर 01ः35 से सायं 05ः47 तक रहेगा। अभिजित मुहूर्त्त प्रातः 11ः48 से दोपहर 12ः33 तक रहेगा। इन समय में आप पूजा कर सकते हैं।

शाम का शुभ मुहूर्त

प्रदोष लग्न:- सायं 05ः48 से रात्रि 08ः22 तक रहेगा।

वृषलग्न :- सायं 07ः02 से रात्रि 08ः59 तक

रात्रि का शुभ मुहूर्त:- चर का चौघड़िया :- सायं 05ः47 से सायं 07ः23, लाभ का चौघड़िया रात्रि 10ः35 से मध्यरात्रि 12ः11 तक, शुभ-अमृत-चर का चौघड़िया मध्यरात्रि 01ः47 से अंतरात्रि 04ः14 तक है। अगर आप रात में पूजन करना चाहते हैं तो चर, लाभ और अमृत चर चौघड़िया में कर सकते हैं।

जानिए लक्ष्मी पूजन की पूजा विधि

दिवाली के दिन सुबह जल्दी स्नान कर लें और एक बार पूजा स्थल को साथ कर लें। साथ ही पूजा स्थल पर रखी चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। फिर माता लक्ष्मी, भगवान गणेश सहित सभी देवी- देवताओं को चौकी पर स्थापित करें। साथ ही सर्वप्रथम भगवान गणेश और कलश का पूजन करें। कलश में ब्रह्रा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं को निवास माना जाता है। साथ ही कलश में गंगाजल, साफ पानी, पंच पल्लव, सप्तधान्य डाले और कलश के ऊपर की ओर रक्षा सूत्र बांधे। फिर उसके ऊपर नारियल स्थापित कर दें।

वहीं इसके बाद गणेश जी और मां लक्ष्मी का पूजन करें। गणेश भगवान का टीका करें और दूर्वा चढ़ाएं। इसके बाद  मोदक, फल, गंध, धूप, दीप, जनेऊ, पान, सुपारी, आदि ऊं गं गणपतये नम: मंत्र उच्चारण के साथ अर्पित करें। इसके बाद मां लक्ष्मी का पूजन करें। उनको पुष्प, कमलगट्टा, अक्षत्, कुमकुम, कौड़ी, शंख, धूप, दीप, वस्त्र, फल, सफेद मिठाई, खील, बताशे अर्पित करते हुए पूजन करें। इसके बाद अन्य देवी- देवताओं का भी पूजन करें। साथ ही पूजन के बाद श्रीसूक्त और कनकधारा स्त्रोत का पाठ जरूर करें। 

पूजन करते समय इन मंत्रों का करें ध्यान

गणेश मंत्र
गजाननम्भूतगभू गणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।
म् उमासुतं सु शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।

लक्ष्मी मंत्र
ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:॥

कुबेर मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥