Dhanteras 2024 Puja Vidhi, Shubh Muhurat Time, Samagri, Laxmi Mata Ji Ki Aarti in Hindi: वैदिक पंंचांग अनुसार हर साल धनतेरस का पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, मृत्यु के देवता यमराज और कुबेर जी की पूजा करने का विधान है। इस साल धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर को है। आपको बता दें कि सोना, चांदी, बर्तन आदि की खरीदारी करना शुभ माना जाता है।
कहते हैं कि इस दिन बरतन और धातु की चीजों की खरीदारी करने से धन में 13 गुणा वृद्धि और समृद्धि आती है। साथ ही इसी दिन देवताओं के वैध भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति हुई थी। यही वजह है इस दिन धन्वंतरि जयंती भी मनाते हैं। वहीं आपको बता दें कि धनतेरस पर खरीदारी और पूजा के लिए इस बार पंचांग में कई अच्छे मुहूर्त दिए गए हैं। जिसमें त्रिपुष्कर योग, अभिजीत मुहूर्त और प्रदोष काल – तीनों ही शुभ मुहूर्त इस बार धनतेरस पर विशेष हैं। आप अपनी सुविधानुसार इनमें से किसी भी मुहूर्त में खरीदारी या पूजा कर सकते हैं। आइए जानते हैं धनतेरस की तिथि, पूजा विधि और पूजा- मुहूर्त…
Dhanteras Puja Shubh Muhurat: धनतेरस आज, जानिए गाड़ी, सोना- चांदी और बर्तन खरीदने का चौघड़िया शुभ मुहूर्त
Dhanteras Laxmi Ji Ki Aarti Lyrics: ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता आरती…
Dhanteras Kuber Ji Ki Aarti Lyrics: ॐ जय यक्ष कुबेर हरे,स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे…
धनतेरस पर करें षोडशोपचार पूजन
धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना भी शुभ माना जाता है। झाड़ू को मां लक्ष्मी से संबंधित है। झाड़ू खरीदने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है...
ॐ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,
भण्डार कुबेर भरे।
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े ॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जय कार करैं॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,
धनुष टंकार करे॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं,
साथ में उड़द चने॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी,
मनवांछित फल पावे।
॥ इति श्री कुबेर आरती ॥
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैय्या तुम ही जग माता।सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैय्या सुख संपत्ति पाता।जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैय्या तुम ही शुभ दाता।कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैय्या सब सद्गुण आता।सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैय्या वस्त्र न कोई पाता।खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता, मैय्या क्षीरगदधि की जाता।रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता, मैय्या जो कोई जन गाता।उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥
धनतेरस के दिन साफ- सुथरे कपड़े पहल लें और शाम को भगवान धन्वंतरि, कुबेर जी और माता लक्ष्मी का चित्र या प्रतिमा को पूजा की चौकी पर स्थापित करें। फिर दीपक और धूप जलाएं। इसके बाद भगवान सभी भगवान को रोली से तिलक करें। साथ ही उनको फल और पुष्प चढाएं। भगवान कुबेर और मां लक्ष्मी का भी पूजन करें। साथ ही मिठाई का भोग लगाएं। साथ ही अंत में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। क्योंकि शास्त्रों अनुसार भगवान धन्वंतरि को विष्णु भगवान का ही अवतार माना जाता है। वहीं अंत में भगवान धंवंतरि, कुबेर भगवान और मां लक्ष्मी की आरती करें।
यह शुभ मुहूर्त संध्या 06:36 से प्रातः 08:32 बजे तक रहेगा जो प्रदोष काल का है। इनमें से यह मुहूर्त सबसे उत्तम और शुभ माना जाता है।
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
कुबेर धन प्राप्ति मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
कुबेर अष्टलक्ष्मी मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
धनतेरस पूजा मुहूर्त- शाम 06 बजकर 30 मिनट से लेकर 08 बजकर 12 मिनट तकप्रदोष काल मुहूर्त- शाम 05 बजकर 37 मिनट से लेकर 08 बजकर 12 मिनट तकवृषभ काल मुहूर्त- शाम 06 बजकर 30 मिनट से लेकर 08 बजकर 26 मिनट तक
धनतेरस के दिन अपने घर के मुख्य द्वार की दोनों तरफ आपको दिया जलाना चाहिए। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास बना रहता है। साथ ही घर में संपन्नता बनी रहती है।
धनतेरस पर मंगलवार को 100 साल बाद त्रिग्रही योग (त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, वैधृति योग) के साथ लक्ष्मी नारायण योग, शश योग, धाता योग, सौम्य योग बन रहे हैं।
वैदिक पंचांग अनुसार धनतेरस पर धन की देवी माता लक्ष्मी और धन्वंतरी जी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:30 मिनट से लेकर रात 08:12 मिनट तक है। जबकि कुबेर पूजन का मुहूर्त शाम में 7 बजकर 15 मिनट से लेकर 8 बजकर 25 मिनट तक है। इस बीच में आप पूजा- अर्चना कर सकते हैं।
धनतेरस पर अकाल मृत्यु से बचने के लिए रात में घर के दरवाजे पर 4 बातियों का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से आरोग्य भी भी प्राप्ति होती है।
पुणे- 07:01 पी एम से 08:33 पी एम
नई दिल्ली- 06:31 पी एम से 08:13 पी एम
चेन्नई- 06:44 पी एम से 08:11 पी एम
जयपुर- 06:40 पी एम से 08:20 पी एम
हैदराबाद- 06:45 पी एम से 08:15 पी एम
गुरुग्राम- 06:32 पी एम से 08:14 पी एम
चण्डीगढ़- 06:29 पी एम से 08:13 पी एम –
कोलकाता- 05:57 पी एम से 07:33 पी एम –
मुम्बई 07:04 पी एम से 08:37 पी एम
बेंगलूरु- 06:55 पी एम से 08:22 पी एम
अहमदाबाद- 06:59 पी एम से 08:35 पी एम
नोएडा- 06:31 पी एम से 08:12 पी एम
मथुरा- 06:32 पी एम से 08:12 पी एम
जयपुर – 06:40 पी एम से 08:20 पी एम
जम्मू – 06:33 पी एम से 08:19 पी एम
देहरादून – 06:25 पी एम से 08:08 पी एम
पटना – 06:05 पी एम से 07:43 पी एम
शिमला- 06:27 पी एम से 08:11 पी एम
भगवान कुबेर का अमोघ मंत्र
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
अष्ट लक्ष्मी कुबेर मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
धन प्राप्ति के लिए कुबेर मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
वैदिक पंचांग अनुसार आज धनतेरस के दिन त्रिग्रही योग, त्रिपुष्कर योग, शश महापुरुष योग, लक्ष्मी नारायण योग समेत कई शुभ संयोग बन रहा है, यह संयोग 100 साल बाद बन रहा है...
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 31 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 38 मिनट पर
चंद्रोदय- सुबह 04 बजकर 27 मिनट पर
चंद्रास्त- दोपहर 03 बजकर 57 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 48 मिनट से 05 बजकर 40 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 40 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 38 मिनट से 06 बजकर 04 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
मेष राशि
मेष वालों को धनतेरस पर सोने या पीतल की वस्तु खरीदना शुभ रहेगा। इससे आपको धन- समृद्धि के साथ आरोग्य की प्राप्ति होगी।
वृषभ राशि
आप लोगों को धनतेरस पर वाहन, अलमारी या इलेक्ट्रॉनिक्स की वस्तुएं खरीदना शुभ रहेगा। इससे आपके भाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही धन आगमन के मार्ग खुलेंगे।
मिथुन राशि
आप लोगों को धनतेरस पर कांसे के बर्तन या कांसे की मूर्ति खरीदनी चाहिए। इससे आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। साथ ही आपकी योजनाएं सफल होंगी।
कर्क राशि
कर्क वालों को धनतेरस पर पीतल या सोने की वस्तु खरीदना शुभ रहेगा। इससे आपको आकस्मिक धनलाभ हो सकता है।
सिंह राशि
सिंह राशि के स्वामी सूर्य देव हैं। इसलिए धनतेरस पर तांबे का पात्र खरीदना शुभ रहेगा। वहीं अगर जल का हो तो उत्तम होगा। साथ ही आपको आरोग्य की प्राप्ति होगी।
कन्या राशि
कन्या राशि के स्वामी बुध देव हैं। इसलिए धनतेरस पर इलेक्ट्रिक्ल इलेक्ट्रॉनिक्स की वस्तुएं खरीदें, उत्तम होगा। इससे धन में वृद्धि के योग बनेंगे।
तुला राशि
तुला राशि पर धन के देवता शुक्र देव का आधिपत्य है। इसलिए धनतेरस पर देवी देवता की प्रतिमा खरीदें, उत्तम होगा। इससे आपके अटके हुए कार्य पूरे होंगे।
वृश्चिक राशि
धनतेरस पर वृश्चिक वाले चांदी का सिक्का या चांदी का बर्तन खरीदें, बहुत ही अच्छा होगा। इससे आपके साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी। क्योंकि आपकी राशि के स्वामी मंगल देव हैं।
धनु राशि
आपकी राशि के स्वामी गुरु ग्रह हैं। इसलिए धनतेरस पर धनु वाले तांबे का दीपक या तांबे का पात्र खरीदें। इससे करियर और कारोबार में आपको तरक्की मिलेगी।
मकर राशि
मकर राशि पर शनि देव का आधिपत्य है। इसलिए धनतेरस पर मकर वाले कांसे की मूर्ति या बर्तन खरीदें। इससे जीवन में खुशहाली आएगी।
कुंभ राशि
आपकी राशि के स्वामी शनि देव हैं। इसलिए धनतेरस पर कुंभ वाले चांदी के बर्तन, खासतौर से जल का पात्र खरीदना शुभ होगा। इससे आपको आकस्मिक धनलाभ हो सकता है।
मीन
मीन राशि के स्वामी गुरु ग्रह हैं। इसलिए धनतेरस पर मीन वालों के लिए तांबे का पात्र खरीदें, जो जल से भरा हुआ हो। ऐसा करने से आपको धन- समृद्धि की प्राप्ति होगी।
जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल।विघ्न हरण मंगल करण जय जय गिरिजालाल॥जय जय जय गणपति राजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥राजित मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥धनि शिवसुवन षडानन भ्राता। गौरी ललन विश्व-विधाता॥ऋद्धि सिद्धि तव चँवर डुलावे। मूषक वाहन सोहत द्वारे॥कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुचि पावन मंगल कारी॥एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा।अतिथि जानि कै गौरी सुखारी। बहु विधि सेवा करी तुम्हारी॥अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥मिलहि पुत्र तुहि बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै। पलना पर बालक स्वरूप ह्वै॥बनि शिशु रुदन जबहि तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥सकल मगन सुख मंगल गावहिं। नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं॥शम्भु उमा बहुदान लुटावहिं। सुर मुनि जन सुत देखन आवहिं॥लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आए शनि राजा॥निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक देखन चाहत नाहीं॥गिरजा कछु मन भेद बढ़ायो। उत्सव मोर न शनि तुहि भायो॥कहन लगे शनि मन सकुचाई। का करिहौ शिशु मोहि दिखाई॥नहिं विश्वास उमा कर भयऊ। शनि सों बालक देखन कह्यऊ॥पड़तहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक शिर उड़ि गयो आकाशा॥गिरजा गिरीं विकल ह्वै धरणी। सो दुख दशा गयो नहिं वरणी॥हाहाकार मच्यो कैलाशा। शनि कीन्ह्यों लखि सुत को नाशा॥तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाए। काटि चक्र सो गज शिर लाए॥बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ शंकर डारयो॥नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हे॥बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा॥चले षडानन भरमि भुलाई। रची बैठ तुम बुद्धि उपाई॥चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहस मुख सकै न गाई॥मैं मति हीन मलीन दुखारी। करहुँ कौन बिधि विनय तुम्हारी॥भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। लख प्रयाग ककरा दुर्वासा॥अब प्रभु दया दीन पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥
दोहाश्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धर ध्यान।नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥सम्वत् अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥
-ॐ गं गणपतये नम:
-वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
-ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश।ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति, सिदि्ध पति। मेरे कर दूर क्लेश।।
-ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.एकदन्त दयावन्त, चार भुजाधारी.माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी.पान चढ़े फूल चढ़े, और चढ़े मेवा.लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा.जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.अँधे को आँख देत, कोढ़िन को काया.बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया.सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा.माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी.कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी.जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
वैदिक पंचांग अनुसार त्रयोदशी तिथि पर उत्तराफाल्गुनी और हस्त नक्षत्र योग का संंयोग बन रहा है। धनतेरस पर पूजा हस्त नक्षत्र में की जाएगी। इसके साथ ही प्रातः काल में त्रिपुष्कर योग और शिववास योग के संयोग बन रहे हैं। इन योगों में भगवान धनवंतरि और भगवान कुबेर की पूजा करना शुभ रहता है...
लाभ-उन्नति मुहूर्त: शाम 07:16 से 08:52 रात।शुभ-उत्तम मुहूर्त: रात 10:29 से मध्यरात्रि 12:04 , अक्टूबर 30।अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: मध्यरात्रि 12:05 से 01:42 देर रात, अक्टूबर 30।चर-सामान्य मुहूर्त: देर रात 01:42 से सुबह 03:18 , अक्टूबर 30।
धनतेरस 2024 शुभ चौघड़िया मुहूर्तदिन का चौघड़िया मुहूर्तचर-सामान्य मुहूर्त: सुबह 09:18 से 10:41 सुबह।लाभ-उन्नति मुहूर्त: सुबह 10:41 से 12:05 दोपहर।अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: दोपहर 12:05 से 01:28 दोपहर तकशुभ-उत्तम मुहूर्त: दोपहर 02:51 से 04:15 दोपहर तक।
वैदिक पंचांग अनुसार त्रिपुष्कर योग सुबह 6 बजकर 32 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन तक 10 बजकर 30 मिनट पर रहेगा। इस योग में की गई खरीदारी करने से चीजों में तीन गुणा वृद्धि होती है। साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है...
वैदिक पंचांग अनुसार धनतेरस पर 30 साल बाद शनि अपनी स्वराशि कुंभ में संचरण कर रहे हैं...
धनतेरस सोना-चांदी खरीदारी शुभ मुहूर्त (सुबह)- सुबह 06:34 से अगले दिन सुबह 10: 33 मिनट तकधनतेरस सोना-चांदी खरीदारी शुभ मुहूर्त (शाम)- 06 बजकर 36 से लेकर रात 8 बजकर 32 मिनट तक
शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन घर में नई झाड़ू लाना देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। झाड़ू से स्वच्छता आती है और साफ-सुथरे घर में देवी लक्ष्मी का वास होता है।
धनतेरस को रात के समय 13 दीपक जलाना काफी शुभ माना जाता है। इसके लिए 13 दीपक लें और उसमें घी, बाती लगाने के साथ 1-1 कौड़ी भी रखें। इन दीपकों को घर के आंगन में रख दें। ऐसा करने से जीवन में सुख- समृद्धि बनी रहेगी। साथ ही धन के देवता कुबेर मेहरबान रहेंगे।
शास्त्रों के अनुसार धनतेरस पर सोना चांदी, तांबा और अ्य धातुओं को खरीदना शुभ माना गया है। दरअसल, यह सभी वस्तुएं माता लक्ष्मी को अधिक प्रिय हैं।