आचार्य गिरिजेश धर
Ravi Pushya Yog/ Sarvarthsiddhi Yog : इस अधिक मास में 11 अक्टूबर, रविवार को रवि पुष्य नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग का अत्यंत दुर्लभ शुभ संयोग बन रहा है। इस अवसर पर जो भी शुभ कार्य शुरू होगा वह अटल और चिरस्थाई होगा। रविपुष्य का योग रविवार को दिनभर रहेगा। ऐसे में पूरे दिन कभी भी खरीददारी की जा सकती है। इस योग में की गई खरीददारी न केवल शुभ होती है बल्कि इस मुहूर्त में खरीदी गई वस्तु खरीददार के लिए सुख-सौभाग्य और समृद्धि लेकर आती है। इस दिन कुछ विशेष प्रयोग करके आप अपने जीवन की सारी समस्याओं को दूर कर सकते हैं।
रवि पुष्य योग के उपाय (Ravi Pushya Yog Ke Upay)
1- धन लाभ के लिए रवि पुष्य नक्षत्र में भगवान विष्णु जी और मां लक्ष्मी का अभिषेक केसर युक्त दूध से करें।
2- रवि पुष्य नक्षत्र प्रारंभ होने के बाद 11 लघु नारियल की पूजा करके उन्हें लाल कपड़े में बांधकर धन स्थान में रखने से धन कोष में वृद्धि होती है।
3- रवि पुष्य नक्षत्र मे शंखपुष्पी की जड़ को प्राप्त करके चांदी की डिब्बी में डालकर उसे घर में स्थित तिजोरी में रखने से कभी धन की कमी नहीं होती।
4- रवि पुष्य योग में मोती शंख में जल भरकर लक्ष्मी माता की मूर्ति या चित्र के साथ रखने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
5- रवि पुष्य संयोग में मोती शंख को घर में स्थापित कर प्रतिदिन श्री महालक्ष्मै नम: मंत्र को 11 बार बोलकर एक -एक चावल का दाना शंख में भरते रहें इस प्रकार 11 दिन तक करें यह प्रयोग करने से आर्थिक तंगी समाप्त हो जाती है।
6- रवि पुष्य नक्षत्र के दिन चांदी या सोने के आभूषण खरीदना अत्यंत शुभ होता है। इससे सुख.समृद्धि में उत्तरोत्तर बढ़ोतरी होती है।
7- रवि पुष्य नक्षत्र में सूर्यदेव की पूजा से मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा सबकुछ प्राप्त होता है। इस दिन भगवान सूर्य का विधिवत पूजन करें। सूर्योदय के समय जल का अर्घ्य दें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
8- रवि पुष्य नक्षत्र के दिन किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेकर माणिक रत्न सोने या तांबे की अंगूठी में बनवाकर अनामिका अंगुली में धारण करने से सूर्य शुभ प्रभाव देता है।
9- जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति खराब हो उन्हें रवि पुष्य नक्षत्र में किसी ब्राह्मण को गेहूं, गुड़ और तांबे का दान करना चाहिए।
रवि पुष्य नक्षत्र का शुभ मुहूर्त (Ravi Pushya Nakshatra Shubh Muhurat)
पुष्य नक्षत्र प्रारंभ 10 अक्टूबर मध्य रात्रि बाद 1 बजकर 16 मिनट से
पुष्य नक्षत्र समाप्त 11 अक्टूबर मध्य रात्रि बाद 1 बजकर 17 मिनट तक