Devshayani Ekadashi 2025 Paran Muhurat: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसी दिन से भगवान श्रीहरि विष्णु योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं और चातुर्मास का आरंभ होता है। देवशयनी एकादशी को आषाढ़ी एकादशी, हरिशयनी एकादशी और पद्मा एकादशी जैसे नामों से भी जाना जाता है। इस साल यह व्रत आज यानि 06 जुलाई को रखा जा रहा है। मान्यता है कि इस अवधि में भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं, क्योंकि विष्णु जी शयन में होते हैं। एकादशी व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद समाप्त होता है, जिसे ‘पारण’ कहा जाता है। किसी भी व्रत में पारण का विशेष महत्व होता है। ऐसे में आइए जानते हैं देवशयनी एकादशी व्रत पारण का शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में।
देवशयनी एकादशी व्रत का पारण कब करें?
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दौरान ही करना चाहिए। पारण का उचित समय सूर्योदय के बाद से लेकर द्वादशी समाप्त होने तक होता है। धार्मिक मान्यता है कि यदि पारण द्वादशी के भीतर नहीं किया जाता, तो व्रत का पुण्य घट जाता है और इसे अधूरा माना जाता है। इसलिए व्रतधारियों को पारण के शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि उन्हें पूर्ण फल की प्राप्ति हो सके।
देवशयनी एकादशी व्रत पारण का शुभ समय
वर्ष 2025 में देवशयनी एकादशी व्रत का पारण 07 जुलाई को किया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार, व्रत पारण द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद करना उत्तम होता है। ऐसे में पंचांग के अनुसार, इस दिन व्रत पारण का शुभ मुहूर्त प्रातः 05 बजकर 29 मिनट से लेकर 08 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। इस बात का ध्यान रखें कि द्वादशी तिथि इस दिन रात 11 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी, इसलिए पारण इसी अवधि के करना शुभफलदायी माना गया है।
देवशयनी एकादशी व्रत पारण की विधि
पारण से पूर्व प्रातःकाल उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप जलाकर पूजा करें, उन्हें पुष्प, तुलसी दल और भोग अर्पित करें। व्रत के पूर्ण होने का संकल्प लें और श्रद्धा से जल या तुलसी दल ग्रहण करके व्रत का पारण करें। पारण के बाद किसी ज़रूरतमंद, ब्राह्मण या गाय को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा का दान करें।
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