Chhathi Maiya Ki Aarti, Chhath Puja Aarti Lyrics in Hindi: आज छठ पर्व का तीसरा दिन है। आज छठ मैया की पूजा करने के साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। हिंदू धर्म में छठ महापर्व का विशेष महत्व है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के साथ छठ महापर्व आरंभ होता है, जो सप्तमी तिथि को समाप्त होता है। आस्था का ये महापर्व बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित देश के अन्य राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। बता दें कि छठ नहाय-खाय के साथ आज से आरंभ हो चुकी है, जिसके दूसरे दिन खरना किया जाता है। इसके बाद 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए माताएं व्रत रखती हैं। छठ पर्व का मुख्य व्रत षष्ठी तिथि को रखा जाता है। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य और आखिरी दिन सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। ये कठोर व्रतों में से एक माना जाता है। माताएं अपनी संतान के उज्जवल भविष्य, दीर्घायु, निरोग रहने के लिए सूर्य देव के साथ छठी मैया की पूजा करती है। इस दौरान छठ माता की आरती अवश्य करना चाहिए। आइए जानते हैं छठी मईया की संपूर्ण आरती…

Chhath Puja 2024 Sunset Timing Today: छठ पूजा में आज दिया जाएगा डूबते सूर्य को अर्घ्य, जानें दिल्ली, बिहार सहित अन्य शहरों में कब होगा संध्या अर्घ्य

छठ मईया की आरती (Chhath Mata Aarti Lyrics)

जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥

अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥

ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥

छठ का लोक गीत ( Chhath Lok Geet)

केरवा जे फरेला घवद से/ ओह पर सुगा मेड़राय

उ जे खबरी जनइबो अदिक (सूरज) से/ सुगा देले जुठियाए

उ जे मरबो रे सुगवा धनुक से/ सुगा गिरे मुरझाय

उ जे सुगनी जे रोए ले वियोग से/ आदित होइ ना सहाय

देव होइ ना सहाय।

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