Surya Dev Aarti Lyrics: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी 5 नवंबर से छठ महापर्व शुरू हो चुका है, जो कार्तिक मास की सप्तमी तिथि यानी 8 नवंबर को सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा। छठ पूजा के दौरान छठ मैया के साथ सूर्य देव की पूजा करने का विधान है। इस पर्व के पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन सूर्यास्त के समय अर्घ्य और चौथे दिन उषा काल में सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इस व्रत को सबसे कठोर व्रतों में से एक माना जाता है, क्योंकि इस दौरान व्रती पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन छठी माता के साथ-साथ विधिवत तरीके से सूर्य देव की आरती करने से भी शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं सूर्य देव की संपूर्ण आरती और मंत्र…

Chhath Mata Aarti Lyrics In Hindi: जय छठी मईया ऊ जे केरवा…इस आरती के बिना अधूरा है छठ महापर्व, जानें छठ मईया की आरती

सूर्य देव की आरती ( Surya Dev Aarti)

ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

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तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

सूर्य देव के मंत्र (Surya Dev Mantra)

ऊं घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।

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