Chhath Puja 2024: छठ पूजा उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। छठ पूजा को हम सूर्य षष्ठी व्रत के नाम से भी जानते हैं। यह पूजा मुख्य रूप से संतान सुख, परिवार की खुशहाली और समृद्धि के लिए की जाती है। इस पर्व में सूरज देवता और छठ माता की उपासना की जाती है। लहीं, इस व्रत की कई कथाएं प्रचलित हैं जो इसके महत्व को और बढ़ा देती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं छठ पूजा से जुड़ी प्रचलित कथा।

पहली कथा: व्रत का संकल्प और भूल

पौराणिक कथा के अनुसार, एक एक वृद्धा स्त्री थी जिसकी कोई संतान नहीं थी। उसने कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन ये संकल्प लिया कि अगर उसे संतान सुख मिलेगा, तो वह हर साल सूर्य षष्ठी का व्रत करेगी। कुछ समय बाद उसे सूर्य देवता की कृपा से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। लेकिन संतान पाकर उसने अपना संकल्प निभाया नहीं। सालों बीत गए, बेटा बड़ा हो गया और शादी के लायक हो गया, फिर उसकी शादी भी हो गई।

विवाह के बाद जब बहू अपने पति के साथ घर लौट रही थी, तो रास्ते में अचानक पति की मृत्यु हो गई। बहू जोर-जोर से रोने लगी। उसी वक्त एक वृद्ध स्त्री वहां आई और उसने कहा, ‘मैं छठ माता हूँ। तुम्हारी सास ने मुझसे संतान पाने का वादा किया था लेकिन फिर पूजा नहीं की।’ माता ने बहू को समझाया कि वह घर जाकर अपनी सास से इस बारे में पूछे।’ माता ने बहू के पति को पुनः जीवनदान दिया। घर पहुंचने पर बहू ने सास को सब बताया, तब सास ने अपनी गलती मानी और फिर से सूर्य षष्ठी व्रत करने का निश्चय किया। तब से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया।

दूसरी कथा: महाभारत काल की कथा

दूसरी कहानी महाभारत काल की बताई जाती है। एक प्रतापी राजा की एक हजार रानियां थीं, लेकिन उनसे केवल एक कन्या का जन्म हुआ जिसका नाम सुकन्या था। वह अपने माता-पिता की लाडली थी। एक दिन सुकन्या जंगल में फूल तोड़ने गई, वहां उसने एक ऋषि (च्यवन ऋषि) को देखा जिनका शरीर मिट्टी में ढक गया था और सिर्फ आंखें दिख रही थीं। सुकन्या ने गलती से उनकी आंखों को नुकसान पहुंचा दिया।

जब सुकन्या को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो राजा ने शांति बनाए रखने के लिए उसका विवाह ऋषि च्यवन से कर दिया। एक दिन सुकन्या झील पर पानी लेने गई, वहां उसने एक नाग कन्या को सुंदर कपड़ों और गहनों में सूर्य की पूजा करते देखा। सुकन्या ने पूछा कि वह किसकी पूजा कर रही है। नाग कन्या ने बताया कि कार्तिक महीने में सूर्य देव की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सुकन्या ने भी उसी तरह से व्रत किया और इसके फलस्वरूप उसके पति को फिर से देखने की शक्ति मिल गई।

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