Chhathi Maiya Ki Aarti, Chhath Puja Aarti Lyrics in Hindi: आज छठ पर्व का तीसरा दिन है। आज छठ मैया की पूजा के साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य करेंगे। हिंदू धर्म में छठ महापर्व का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। हर वर्ष यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से आरंभ होकर सप्तमी तिथि को सम्पन्न होता है। आस्था का यह पावन उत्सव बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित देश के कई अन्य राज्यों में बड़ी धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, इसके दूसरे दिन खरना का आयोजन किया जाता है और इसके साथ ही व्रती माताएं 36 घंटे का कठोर निर्जला व्रत रखती हैं। मुख्य व्रत षष्ठी तिथि को रखा जाता है, जब संध्या के समय अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और अगले दिन सप्तमी तिथि की सुबह उदयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का पारण किया जाता है। यह व्रत अत्यंत कठिन माने जाने वाले व्रतों में से एक है। माताएं अपनी संतान के उज्जवल भविष्य, दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए सूर्य देव के साथ छठी मैया की आराधना करती हैं। इस अवसर पर छठी माता की आरती करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं छठी मैया की संपूर्ण आरती जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए लिरिक्स इन हिंदी….
Surya Dev Aarti: ऊँ जय सूर्य भगवान… छठ महापर्व पर सूर्य को अर्घ्य देने के साथ जरूर पढ़ें ये आरती
छठ मईया की आरती (Chhath Mata Aarti Lyrics)
जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
छठ का लोक गीत
केरवा जे फरेला घवद से/ ओह पर सुगा मेड़राय
उ जे खबरी जनइबो अदिक (सूरज) से/ सुगा देले जुठियाए
उ जे मरबो रे सुगवा धनुक से/ सुगा गिरे मुरझाय
उ जे सुगनी जे रोए ले वियोग से/ आदित होइ ना सहाय
देव होइ ना सहाय।
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