साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 16 जुलाई को देर रात यानी 17 जुलाई को रात 01 बजकर 30 मिनट पर लगने जा रहा है। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। 16 जुलाई वाला चंद्र ग्रहण खास माना जा रहा है। क्योंकि इस दिन गुरू पूर्णिमा भी है। इस दिन मंगलवार और आषाढ़ नक्षत्र दोनों एक साथ है। मंगलवार और आषाढ़ नक्षत्र के एक साथ होने के कारण ये ग्रहण राजनीतिक परिवर्तनों के साथ-साथ प्राकृतिक आपदा की भी आशंका पैदा कर रहा है। ये चंद्र ग्रहण भारत के अलावा अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में देखा सकेगा। चंद्र ग्रहण हो या फिर सूर्य ग्रहण दोनों का हमारे ऊपर और हमारी गतिविधियों के ऊपर प्रभाव अवश्य पड़ता है। इस साल कुल 5 ग्रहण लगने हैं। जिनमें से 3 सूर्यग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण हैं। पहला चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को था और वहीं पहला सूर्य ग्रहण 6 जनवरी को लगा था। दूसरा सूर्यग्रहण 2 जुलाई का हुआ और अब दूसरा चंद्र ग्रहण 16-17 जुलाई की रात को लगने जा रहा है। साल का अंतिम और तीसरा सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को लगेगा।

149 साल बाद चंद्र ग्रहण पर ऐसा योग: ज्योतिषियों की माने तो इस बार वाले चंद्र ग्रहण का महत्व बहुत ज्यादा है। क्योंकि ऐसा योग 149 साल बाद बन रहा है। इससे पहले 12 जुलाई 1870 में इस तरह की स्थिति बनी थी। जब चंद्र ग्रहण और गुरु पूर्णिमा के एक साथ होने के साथ-साथ शनि और केतु, चंद्रमा के साथ धनु की राशि में बैठे हुए थे। और सूर्य और राहु मिथुन की राशि में थे। एक बार फिर ग्रहों की स्थिति बिल्कुल ऐसी ही बन रही है। इस बार भी शनि, केतु और चंद्र, धनु की राशि में स्थित रहेंगे। इस कारण से ग्रहण का प्रभाव और भी ज्यादा बढ़ जाएगा। जिस कारण से भूकंप, बाढ़, तूफान आदि के आने की संभावना और बढ़ सकती हैं।

किन राशियों पर रहेगा इसका प्रभाव: ज्योतिषों के अनुसार जिन लोगों की राशि मेष, वृष, कन्या, वृश्चिक, धनु और मकर है, उनपर इस ग्रहण का सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। चंद्रग्रहण का मंगलवार और आषाढ़ नक्षत्र में आने के कारण इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाएगा। जिस कारण से प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति भी बन सकती है।