ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने की वजह से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। दरअसल धार्मिक दृष्टि से उसी ग्रहण का सूतक माना जाता है जो ग्रहण खुली आंखों से दृष्टि गोचर हो। उपच्छाया चंद्र ग्रहण में चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं होता। इस धुंधलेपन को सामान्य रूप से देखा भी नहीं जा सकता है। इसलिए इसे उपछाया चंद्र ग्रहण कहते हैं ना कि चंद्र ग्रहण। लेकिन कुछ जगह हर तरह के ग्रहण को गंभीरता से लिया जाता है जिस कारण सूतक के नियमों का पालन भी किया जाता है। अगर आप उपच्छाया चंद्र ग्रहण का सूतक मानते हैं तो जानिए कब लगेगा सूतक काल और इस दौरान किन बातों का रखना होगा ध्यान…
सूतक काल का समय: 5 जून की रात 11:16 बजे से चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से ठीक 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। जिसके अनुसार इस ग्रहण का सूतक दोपहर 02:16 बजे से शुरू हो जायेगा जिसकी समाप्ति ग्रहण के खत्म होने के साथ होगी। ग्रहण 6 जून 02:32 AM पर समाप्त होगा। जबकि रात रात 12:54 बजे इसका सबसे ज्यादा असर दिखाई देगा।
क्या है सूतक काल और इस दौरान किन बातों का रखें ध्यान: सूतक काल के दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य करना वर्जित होता है। सूतक काल के दौरान सोना नहीं चाहिए। शारीरिक संबंध बनाने की मनाही होती है। भोजन न ही खाना चाहिए और न ही बनाना। सूतक काल के प्रारंभ होने से पहले ही खाने पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए। इससे खाना दूषित नहीं होता। ग्रहण का सूतक काल लगने से ग्रहण की समाप्ति तक भगवान का मन ही मन ध्यान करना चाहिए। लेकिन भूलकर भी भगवान की मूर्तियों को स्पर्श न करें। कई मंदिरों के कपाट ग्रहण के दौरान बंद कर दिये जाते हैं। सूतक काल लगते ही गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही चाकू, ब्लेड, कैंची जैसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए।
ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के समय धार वाली वस्तुओं का प्रयोग करने से गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर इसका बुरा असर पड़ता है। ध्यान रखें कि सूतक लगते ही तुलसी के पौधे को स्पर्श न करें। बल्कि पहले से ही तुलसी के पत्ते तोड़कर रख लें। सूतक काल के समय वैसे तो खाने पीने की मनाही होती है लेकिन गर्भवती महिलाओं, बीमार व्यक्ति, छोटे बच्चों और वृद्ध लोगों पर ये नियम लागू नहीं होते हैं।