ये साल का तीसरा उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जो आज गुरु पूर्णिमा के दिन लगा था। लेकिन भारत में ये ग्रहण दिखाई नहीं दिया। जिस कारण इसका सूतक काल भी मान्य नहीं था। ग्रहण एशिया के कुछ इलाकों अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई दिया। लोग लगभग पौने तीन घंटे तक ग्रहण के खूबसूरत नजारे को देख पाए।
ग्रहण का क्या रहेगा समय: भारतीय समयानुसार ग्रहण 5 जुलाई की सुबह 8.38 बजे से लगा था और इसकी समाप्ति 11.21 AM पर हो चुकी है। ग्रहण सुबह 09.59 बजे अपने पूर्ण प्रभाव में रहा। सूतक काल नहीं लगा। जिस कारण किसी भी तरह के कार्य वर्जित नहीं थे। अगला चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा।
क्या होता है चंद्र ग्रहण? हर साल में ग्रहण लगता है। इनकी संख्या कम से कम 4 और अधिकतम 6 होती है। साल 2020 में कुल 6 ग्रहण हैं। जिनमें से 3 ग्रहण पहले ही लग चुके हैं। ग्रहण एक खगोलीय घटना है। चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है। वहीं जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आता है तब सूर्य ग्रहण लगता है। सूर्य ग्रहण अमावस्या और चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन लगता है।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण क्या है? ज्योतिष अनुसार इस तरह के ग्रहण को वास्तविक ग्रहण नहीं माना जाता। उपच्छाया चंद्र ग्रहण में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में न होकर इस प्रकार से होते हैं कि पृथ्वी की हल्की सी छाया ही चंद्रमा पर पड़ पाती है। जिससे चंद्रमा पूरी तरह से गायब नहीं होता बल्कि उसका किनारे का हिस्सा छाया से ढक जाता है।
चंद्र ग्रहण का प्रभाव: ज्योतिष अनुसार एक महीने के अंतराल में तीन ग्रहण पड़ना शुभ नहीं माना जाता। वहीं 5 जून से 5 जुलाई के बीच में तीन ग्रहण एक साथ पड़ें हैं। माना जा रहा है कि इसके प्रभावों से प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। महंगाई की मार लोगों को झेलनी पड़ सकती है। बड़े देशों के बीच दुश्मनी बढ़ने के आसार हैं।
चंद्र ग्रहण से पहले खाने पीने की वस्तु में तुलसी के पत्ते डालकर रख देने से ग्रहण का दोष खत्म हो जाता है। इससे भोजन दूषित नहीं होता और ग्रहण की समाप्ति के बाद इस भोजन का प्रयोग किया जा सकता है।
इस ग्रहण को दक्षिणी/ पश्चिमी यूरोप, अफ्रीका के अधिकतर हिस्से, उत्तरी अमेरिका के अधिकतर हिस्से, दक्षिणी अमेरिका, भारतीय महासागर और अंटार्टिका में देखा जा सकेगा.
ग्रहण काल के नियमों और पाबंदियों की अवहेलना नहीं करना चाहिए। शास्त्रीय विधान में इसका बड़ा महत्व है। इसकी अवज्ञा नुकसानदायक हो सकती है।
ग्रहण काल और पश्चात काल में ग्रहों की शांति जरूरी है। इसके लिए अपने ईष्ट देव की आराधना करें और उनकी पूजा करें।
ग्रहण के बाद भगवान का जप, तप और दान करने से नकारात्मक प्रभाव से मुक्ति मिलती है। जितना संभव हो गरीबों की मदद करें, कन्याओं का विवाह कराएं और पशुओं को चारा खिलाएं।
ग्रहण के समय में व्यक्ति को भगवान वासुदेव या फिर श्रीकृष्ण मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन आप ओम नमो भगवते वासुदेवाय या श्रीकृष्णाय श्रीवासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत: क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम: मन्त्र का जाप करना चाहिए।
हर साल में ग्रहण लगता है। इनकी संख्या कम से कम 4 और अधिकतम 6 होती है। साल 2020 में कुल 6 ग्रहण हैं। जिनमें से 3 ग्रहण पहले ही लग चुके हैं। सूर्य ग्रहण अमावस्या और चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन लगता है।
मान्यता है कि ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरत मंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
ग्रहण की वजह से वृश्चिक राशि वालों को अपनी सेहत का ध्यान रखनी चाहिए। भावुक होने से बचें। परिवार के साथ अच्छा समय गुजारेंगे।
चंद्र ग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। ये घटना सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही घटित होती है।
ग्रहण के दौरान सूतक शुरू होने से पहले लोगों को खाने-पीने की चीजों में खासकर अचार, मुरब्बा, दूध, दही और अन्य खाद्य पदार्थों में कुश तृण या तुलसी का पत्ता रख देना चाहिए। ऐसा करने से खाने की चीजों पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
ग्रहण काल की समाप्ति के बाद तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। ग्रहण काल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि के लिए उसे बाद में धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए। सूर्य या चन्द्र ग्रहण पूरा होने पर उसका शुद्ध बिम्ब देखकर ही भोजन करना चाहिए।
जानकारों के अनुसार 5 जुलाई को उपच्छाया चंद्र ग्रहण लग रहा है। ज्योतिष अनुसार इस तरह के ग्रहण को वास्तविक ग्रहण नहीं माना जाता। उपच्छाया चंद्र ग्रहण में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में न होकर इस प्रकार से होते हैं कि पृथ्वी की हल्की सी छाया ही चंद्रमा पर पड़ पाती है। जिससे चंद्रमा पूरी तरह से गायब नहीं होता बल्कि उसका किनारे का हिस्सा छाया से ढक जाता है।
अलग-अलग स्थानों पर ग्रहण की दृश्यता अलग-अलग होती है। कई स्थानों पर ग्रहण पूर्ण रूप से दिखाई देता है और कई जगह आंशिक रूप से दृष्टिगोचर होता है।
जिन राशियों पर चंद्रग्रहण का अशुभ असर पड़ेगा, उन्हें ग्रहण काल के बाद स्नान करके मंदिरों में दान करना चाहिए। गाय को भोजन कराएं और गरीबों की मदद करनी चाहिए।
ग्रहण के बाद घर की अच्छी तरह सफाई करें और पूरे घर में धूप या अगरबत्ती का धुआं दिखाएं। तीन सूखे नारियल और सवा किलो सतनाजा प्रातरू दान में दें या जल प्रवाह करने से भी ग्रहण का प्रभाव कम होता है।
हर साल में ग्रहण लगता है। इनकी संख्या कम से कम 4 और अधिकतम 6 होती है। साल 2020 में कुल 6 ग्रहण हैं। जिनमें से 3 ग्रहण पहले ही लग चुके हैं। ग्रहण एक खगोलीय घटना है। चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है। वहीं जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आता है तब सूर्य ग्रहण लगता है। सूर्य ग्रहण अमावस्या और चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन लगता है।
ग्रहण के बाद दान करना बेहद शुभ माना जाता है. ऐसे में सफेद वस्तुओं का दान करना तो और भी शुभ माना जाता है. आप खाने की कोई सफेद वस्तु या वस्त्र भी दान कर सकते हैं. इसके अलावा आप जरूरतमंदों को अन्न दान भी कर सकते हैं
ग्रहण के बाद शिव पूजा भी फायदेमंद मानी गई है। अगर आप ये पूजा किसी मंदिर में जाकर करें तो बेहतर होगा।
घर में तुलसी का पौधा भी चंद्र ग्रहण से प्रभावित होगा। इसकी पूजा करने से पहले इस पर गंगा जल छिड़कें।
स्नान के बाद घर का पूजा घर भी शुद्ध करें। इसके लिए देवी-देवताओं व भगवान की सभी प्रतिमाओं व तस्वीरों पर गंगाजल छिड़क दें।
चंद्र ग्रहण के बाद पितरों को याद करें व उनके नाम पर दान दें। ऐसा करने से ग्रहण का बुरा प्रभाव उतर जाएगा।
साल का तीसरा चंद्र ग्रहण अब खत्म हो गया है। अब इसके बाद साल 2020 में दो और ग्रहण लगेंगे। एक सूर्य ग्रहण और दूसरा चंद्र ग्रहण। सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर को लगेगा जबकि चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को पड़ेगा। जून और जुलाई के महीने में कुल तीन ग्रहण लगे थे। 5 जून को चंद्र ग्रहण, 21 जून को सूर्य ग्रहण और 5 जुलाई को चंद्र ग्रहण। ग्रहण का ज्योतिष और खगोल शास्त्र दोनों में विशेष महत्व होता है। कल से पावन सावन माह की शुरुआत होने जा रही है।
चंद्र ग्रहण के दौरान तो कई काम करने की मनाही होती है लेकिन ग्रहण के बाद अपना रुटीन शुरू करने से पहले भी कुछ नियम पूरे करने होते हैं। दरअसल चंद्र ग्रहण का प्रभाव 108 दिन तक माना जाता है। ऐसे में ये नकारात्मकता दूर करने के लिए ग्रहण खत्म होने के बाद कुछ उपाय करने जरूरत होती है। साथ ही ग्रहण के बाद घर की अच्छी तरह सफाई भी आवश्यक बताई गई है।
उपछाया चंद्रग्रहण आज सुबह 8 बजकर 38 मिनट से आरंभ हुआ था जो अब 11 बजकर 21 मिनट पर समाप्त हो चुका है. आज का ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण था, जो धनु राशि में लगा था.जहां पहले से ही धनु राशि में गुरु और राहु भी मौजूद थे. चंद्रग्रहण के दौरान गुरु की दृष्टि धनु राशि पर थी. ग्रहों और ग्रहण की स्थिति सभी 12 राशियों को प्रभावित कर रही है. इसलिए धनु सहित मेष, कन्या, सिंह और कुम्भ राशि को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है.
Chandra Grahan 2020 Effects on Zodiac Signs: 5 जुलाई को साल का चौथा ग्रहण लगा। जो भारत में दिखाई नहीं दिया। लेकिन ज्योतिष अनुसार इस ग्रहण का कुछ न कुछ प्रभाव सभी राशि के जातकों पर पड़ेगा। ग्रहण के समय चंद्रमा धनु राशि में मौजूद रहेगा जिस कारण इस राशि के लोग ग्रहण से सबसे अधिक प्रभावित होंगे। जानते हैं किस राशि के लिए ये ग्रहण कैसा रहेगा…
पहला चंद्रग्रहण-10 जनवरी, 2020। भारत में दिखा।
दूसरा चंद्रग्रहण-5 जून 2020। भारत में दिखा।
पहला सूर्यग्रहण-21 जून 2020। भारत में दिखा।
तीसरा चंद्रग्रहण-5 जुलाई 2020। भारत में नहीं दिखा।
चौथा चंद्रग्रहण-30 नवंबर 2020। भारत में दिखाई देगा।
दूसरा सूर्यग्रहण-14 दिसंबर, 2020। भारत में नहीं दिखेगा।
चंद्र ग्रहण समाप्त हो चुका है. ये साल का तीसरा चंद्र ग्रहण था जो उपछाया ग्रहण था. यानि इसका प्रभाव भारत पर नहीं था. लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब 30 दिन या एक माह के भीतर दो ग्रहण या इससे अधिक ग्रहण लगते हैं तो इसके परिणाम शुभ नहीं आते हैं. साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 5 जून को लगा था, इसके बाद 21 जून को सूर्य ग्रहण लगा था. इस ग्रहण को भारत में देखा गया था और इसमें सूतक काल मान्य था, यानि ये पूर्ण ग्रहण था. इसके बाद आज यानि 5 जुलाई को साल का तीसरा चंद्र ग्रहण लगा था. यह ग्रहण धनु राशि में लगा था. जहां पर पहले से ही देव गुरु बृहस्पति मौजूद थे.
चंद्रग्रहण की अवधि में बालक, वृद्ध और बीमार को निषेधों से बाहर होते हैं। अर्थात शास्त्रीय विधान और भारतीय वैदिक पंचांग के अनुसार ऐसे लोगों को भोजन करने और सोने पर कोई रोक नहीं होती है।
चंद्रग्रहण रात्रि में पड़ता है, लेकिन जहां यह नहीं दिखता है, वहां उस दौरान दिन होता है। इसी तरह सूर्यग्रहण दिन में होता है, लेकिन जहां यह ग्रहण नहीं दिखता है, वहां रात्रि होती है।
जिन राशियों पर चंद्रग्रहण का अशुभ असर पड़ेगा, उन्हें ग्रहण काल के बाद स्नान करके मंदिरों में दान करना चाहिए। गाय को भोजन कराएं और गरीबों की मदद करनी चाहिए।
ग्रहण की वजह से वृश्चिक राशि वालों को अपनी सेहत का ध्यान रखनी चाहिए। भावुक होने से बचें। परिवार के साथ अच्छा समय गुजारेंगे।
ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए भजन-कीर्तन के अलावा नदियों और सरोवरों का स्नान करना भी है। ग्रहण काल के बाद नदियों और सरोवरों में स्नान करें और यथा संभव दान-पुण्य भी करें।
ग्रहण लगने से राशियों पर प्रभाव पड़ता है। कई राशियों पर अच्छा, कई अन्य पर बुरा और शेष पर सामान्य प्रभाव पड़ता है। सभी राशियों के लोगों को इस दौरान भजन-कीर्तन करना चाहिए।
अलग-अलग स्थानों पर ग्रहण की दृश्यता अलग-अलग होती है। कई स्थानों पर ग्रहण पूर्ण रूप से दिखाई देता है और कई जगह आंशिक रूप से दृष्टिगोचर होता है।
जानकारों के अनुसार 5 जुलाई को उपच्छाया चंद्र ग्रहण लग रहा है। ज्योतिष अनुसार इस तरह के ग्रहण को वास्तविक ग्रहण नहीं माना जाता। उपच्छाया चंद्र ग्रहण में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में न होकर इस प्रकार से होते हैं कि पृथ्वी की हल्की सी छाया ही चंद्रमा पर पड़ पाती है। जिससे चंद्रमा पूरी तरह से गायब नहीं होता बल्कि उसका किनारे का हिस्सा छाया से ढक जाता है।
चंद्रग्रहण के समय तीन सूखे नारियल और सवा किलो सतनाजा प्रातरू दान में दें या जल प्रवाह करने से भी ग्रहण का प्रभाव कम होता है।
ग्रहण के दौरन घर की सभी खिड़कियों को ढक देना चाहिए, ताकि ग्रहण की कोई भी किरण घर में प्रवेश न कर सके। ग्रहण के दौरान या पहले भोजन बना हुआ है तो उसे फेंकना नहीं चाहिए। बल्कि उसमें तुलसी के पत्ते डालकर उसे शुद्ध कर लेना चाहिए। ग्रहण के समाप्ति के बाद स्नान-ध्यान कर घर में गंगाजल छिड़कना चाहिए।
ग्रहण के दौरान सूतक शुरू होने से पहले लोगों को खाने-पीने की चीजों में खासकर अचार, मुरब्बा, दूध, दही और अन्य खाद्य पदार्थों में कुश तृण या तुलसी का पत्ता रख देना चाहिए। ऐसा करने से खाने की चीजों पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
ग्रहण के समय में व्यक्ति को भगवान वासुदेव या फिर श्रीकृष्ण मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन आप ओम नमो भगवते वासुदेवाय या श्रीकृष्णाय श्रीवासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत: क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम: मन्त्र का जाप करना चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने सालों तक उसे नरक में वास करना पड़ता है।
ग्रहण काल की समाप्ति के बाद तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। ग्रहण काल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि के लिए उसे बाद में धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए। सूर्य या चन्द्र ग्रहण पूरा होने पर उसका शुद्ध बिम्ब देखकर ही भोजन करना चाहिए।