आज यानी 16 जुलाई की देर रात 01 बजकर 32 मिनट(17 जुलाई) से 04 बजकर 30 मिनट तक के लिए चंद्र ग्रहण रहा। यह आंशिक चंद्र ग्रहण था और इसी के साथ ये साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण भी था। चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण से ठीक 9 घंटे पहले यानी कि शाम 4:30 बजे शुरु हुआ था। इस चंद्र ग्रहण को भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, एशिया लेकिन यहां के उत्तर-पूर्वी भाग को छोड़ कर, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के ज्यादातर भाग में दिखाई दिया था। ग्रहण समाप्ति के बाद ही मंदिरों की घंटियां बजने लगी हैं और सारे कपाट खुल चुके हैं।
Lunar Eclipse/Chandra Grahan 2019 Date and Timings in India: Check details here
इस बार चंद्र ग्रहण एक दुर्लभ योग बना। जो 149 साल पहले 12 जुलाई सन् 1870 को बना था। उस समय गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण साथ-साथ थे साथ ही शनि, केतु और चंद्र के साथ धनु राशि में बैठे थे। इस बार भी ग्रहों की स्थिति बिल्कुल ऐसी ही रही जिस कारण इस ग्रहण का प्रभाव बढ़ा। कुछ राशि के जातकों को इस ग्रहण से लाभ तो कुछ को हानि की आशंका है।
Highlights
कन्या: स्वभाव में चिड़चिड़ापन बना रहेगा। कार्यस्थल पर अधिकारी से परेशानी बनी रहेगी।
तुला: अचानक धन लाभ के योग हैं। प्रेम संबंध बनेंगे।
वृश्चिक: आलस्य बना रहेगा। भाग्य में रुकावट पैदा हो सकता है।
धनु: शारीरिक कष्ट रहेगा। साझीदारी के कामों में परेशानी आएगी।
मकर: जीवन में संघर्ष और भी अधिक बढ़ेगा। चोट-चपेट की आशंका रहेगी।
कुंभ: हर काम में सिद्धि प्राप्त होगी। सम्मान में बढ़ोतरी होगी।
मीन: लंबी यात्रा के योग बन रहे हैं। योजना प्रभावी होगी।
मानसिक तनाव रहेगा। कार्य में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
माता को कष्ट, संक्रमण का भय बना रहेगा।
धैर्य की कमी, कार्य में देरी
धन हानि हो सकता है। स्वास्थ्य प्रभावित रहेगा।
मेष: धन लाभ और मान-सम्मान में वृद्धि होगी।
ज्योतिष के जानकारों के मुताबीक चंद्रग्रहण से वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ राशि के लोग प्रभावित होंगे।
ग्रहण का सूतक काल शुरू होते ही मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं। मंगलवार को लगे चंद्रग्रहण के कारण प्रायः सभी प्रमुख मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए थे। बुधवार यानि आज ग्रहण समाप्ति के बाद मंदिरों का शुद्धिकरण कर कपाट खोल दिए गए हैं। दरअसल ग्रहण और सूतक के समय चंद्र से निकलने वाली नकारात्मक तरंगों के संपर्क में आने वाली सभी चीजें अपवित्र हो जाती हैं। मंदिर में रखी पूजन सामग्री, मंदिर परिसर भी अशुद्ध हो जाती है। ग्रहण के बाद मंदिर की शुद्धि की जाती है, भगवान की प्रतिमा को स्नान कराया जाता है, इसके बाद ही आम भक्तों के लिए मंदिर को खोला जाता है।
इस साल के अंतिम चंद्र ग्रहण खत्म होने के बाद धर्म नगरी काशी में आस्था का जनसलाब देखने को मिला है। श्रद्धालुओं ने पूरी रात ग्रहण काल में गंगा नदी के तट पर बैठकर भजन कीर्तन करते रहे। बुधवार की सुबह करीब 4.30 बजे पर ग्रहण खत्म होने के बाद मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य के भागी बने। इसी के साथ दोपहर में सूतक काल के दौरान बंद हुए मंदिरों के कपाट भी करीब 13 से 14 घंटे बाद भक्तों के लिए खोले गए और मंदिरों में साफ सफाई के बाद दर्शन पूजन का क्रम शुरू हो गया है।
बीते मंगलवार को चंद्रग्रहण का सूतक लगने के कारण जगत पिता ब्रह्मा मंदिर समेत सभी मंदिरों के कपाट बंद किए गए थे। ये कपाट बुधवार की सुबह मंदिर के शुद्धिकरण और मंगला आरती के बाद खुल गए हैं। श्रद्धालुओं ने प्रसिद्ध पुष्कर सरोवर में स्नान के बाद मंदिरों में दर्शन कर रहे हैं।
मंगलवार की शाम 4 बजर 30 मिनट पर चंद्रग्रहण प्रारंभ होने से पूर्व विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट 4:20 पर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ बंद कर दिए गए थे। सूतक खत्म होने के बाद आज सुबह मंगला आरती के बाद इन मंदिरों के कपाट खोले गए हैं।
चंद्र ग्रहण के मद्देनजर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में संपन्न होने वाली आरतियों, मंदिर के बंद होने व खुलने का समय बदला गया है। मंदिर के मुख्य पुजारी के मुताबिक सूतक काल शुरू होने के बाद मंदिर में होने वाली शाम की सप्तर्षि आरती और श्रृंगार भोग आरती, शयन आरती अपने निर्धारित समय पर होगी। हालांकि, 17 जुलाई की भोर में मंगला आरती दो घंटे विलंब से प्रात: 4 बजकर 45 मिनट पर प्रारंभ होकर 5 बजक 45 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद ही मंदिर का कपाट सामान्य दर्शनार्थियों के लिए खोला जाएगा। संकटमोचन मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, कालभैरव मंदिर, महामृत्युंजय समेत अन्य मंदिरों के पट भी सावन के पहले दिन आरती के बाद देर से खुलेंगे।
चंद्रग्रहण के बाद आप अपनी सामान्य डाइट पर आ सकते हैं। इसके बाद फल खाना अच्छा साबित होगा। यह इसलिए अच्छा होता है क्योंकि फलों में काफी मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करेंगे और एनर्जी बूस्ट होगी।
16 जुलाई, मंगलवार को चंद्रग्रहण लगा था। ऐसे में मंदिर के पट शाम चार बजे से बंद कर दिए गए थे। पूरी रात बंद रहने के बाद सुबह 4 बजकर 45 मिनट पर मंदिरों के कपाट खुले हैं।
इस साल का आखिरी चंद्रग्रहण आंशिक रहा और इसके बाद 19 नवंबर साल 2021 को फिर आंशिक चंद्र ग्रहण देखने को मिलेगा।
इस चंद्र ग्रहण के बाद ही अब आप साल 2020 में कुल चार देखेगें। जानकारी के मुताबिक 10 जनवरी 2020 को पहला चंद्र ग्रहण लगेगा। वह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा।
इस साल के चंद्रग्रहण में चंद्रमा कमजोर स्थिति में है तो इसलिए दुग्रा अराधना और ‘ऊं चंद्राय नम:' मंत्र का जाप करने से सभी राशि के जातकों को शुभ होगा।
प्रयागराज में जारी है श्रद्धालुओं का स्नान। गंगा में आस्था की डुबकी लगाते हुए कर रहे शिव की अराधना।
दिल्ली, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, हरिद्वार, वाराणसी और ओडिशा से चांद की तमाम तस्वीरें आई हैं। धीरे-धीरे चांद पूरा पूरा काला होने वाला है। दो घंटे 59 मिनट तक हैं चंद्रग्रहण।
इस साल चंद्र ग्रहण को भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, एशिया लेकिन यहां के उत्तर-पूर्वी भाग को छोड़ कर, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के ज्यादातर भाग में दिखाई देगा। कुछ ही वक्त रह गया है काले चांद के दीदार का।
नेहरू तारामंडल पर चांद को देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो सकती है। टेलीस्कॉप पर चांद को देखने इखट्टा हुए हैं लोग। यहां दुर्वीन से किया जाएगा चांद का दीदार।
चंद्रग्रहण की धार्मिका मान्यता है कि है राहु केतु के प्रभाव से सूर्य और चंद्रमा भी नहीं बच पाते हैं। ग्रहण काल को अशुभ माना जाता है। परिक्रमा के दौरान पृथ्वी से चंद्रमा काला नजर आता है।
सूचक के दौरान पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ सौरमंडल के सूर्य के चारों ओर भी चक्कर लगाती है। दूसरी ओर, चंद्रमा दरअसल पृथ्वी का उपग्रह है और उसके चक्कर लगता है, इसलिए, जब भी जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी छाया में आ जाता है तो इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहते हैं। चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा को ही घटित होता है।
चंद्रग्रहण को लेकर बद्रीनाथ केदारनाथ धाम के कपाट भी सूतक काल में बंद हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि 16 जुलाई को दोपहर 4:25 मिनट पर ही कपाट बंद हो गए थे। बद्री-केदारनाथ मंदिर समिति ने बताया कि इसके लिए अपराह्न 3:15 मिनट पर ही मंगल आरती की जाएगी।
आप चाहे तो खुले मैदान या फिर पास के किसी पार्क में जाकर चांद का दीदार कर सकते हैं। सिर्फ चश्मे ही नहीं इस ग्रहण को देखने के लिए आपको किसी भी तरह से खास आंखों को प्रोटेक्ट करने वाले साधन की ज़रूरत नहीं है।
2019 का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लाल नजर आ सकता है। बता दें कि चांद जब हल्का लाल रंग का दिखता है, तब उसे 'ब्लड मून' (Blood Moon) कहते हैं। खगोलशास्त्रियों के मुताबिक, यह पूरा चंद्र ग्रहण नहीं है, पर हमें चांद के रंग में फेरबदल दिख सकता है। दरअसल, फुल बक मून का 65% पृथ्वी के अंब्र में प्रवेश करेगा। चंद्रमा के रंग की भविष्यवाणी करना मुश्किल है, क्योंकि पृथ्वी के वायुमंडल की स्थिति इस पर असर डालती है।
खगोलीय वैज्ञानिकों के मुताबिक, सुबह 4:30 बजे तक चंद्र ग्रहण रहेगा। इस बार यह चंद्र ग्रहण ढाई घंटे रहेगा।
इससे पहले 12 जुलाई 1870 में इस तरह की स्थिति बनी थी। जब चंद्र ग्रहण और गुरु पूर्णिमा के एक साथ होने के साथ-साथ शनि और केतु, चंद्रमा के साथ धनु की राशि में बैठे हुए थे। और सूर्य और राहु मिथुन की राशि में थे। एक बार फिर ग्रहों की स्थिति बिल्कुल ऐसी ही बन रही है।
इस बार चंद्र ग्रहण गुरु पूर्णिमा को पड़ रहा है। ऐसा 149 साल बाद हो रहा है कि एक ही दिन गुरु पूर्णिमा और चंद्रग्रहण दोनों हैं। इससे पहले 1870 में ऐसा संयोग बना था।
2019 में कुल 5 ग्रहण लगने हैं। जिनमें से 3 सूर्यग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण हैं। पहला चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को था और वहीं पहला सूर्य ग्रहण 6 जनवरी को लगा था। दूसरा सूर्यग्रहण 2 जुलाई का हुआ और अब दूसरा चंद्र ग्रहण 16-17 जुलाई की रात को लगने जा रहा है। साल का अंतिम और तीसरा सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को लगेगा।
ज्योतिषों के अनुसार जिन लोगों की राशि मेष, वृष, कन्या, वृश्चिक, धनु और मकर है, उनपर इस ग्रहण का सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। चंद्रग्रहण का मंगलवार और आषाढ़ नक्षत्र में आने के कारण इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाएगा। जिस कारण से प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति भी बन सकती है।
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को पड़ने वाले ग्रहण को लेकर कुछ ऐसे काम हैं, जिन्हें ज्योतिष और धार्मिक मान्याताओं के अनुसार नहीं करना चाहिए। जैसे इस दिन सोने पर मनाही होती है। माना जाता है कि इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा निकलती है, इससे सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
दिल्ली में सूतक शाम को 4:31:43 से 7:29:39 तक रहेगा। इस दौरान मौसम की बात की जाए तो बादल रहेगा और ठंडी हवांए चल सकती हैं।
उत्तराखंड में 16 जुलाई की शाम में 4:25 से केदारनाथ, बद्रीनाथ और समिति के दूसरे मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। इनके अलावा यमुनोत्री, गंगोत्री धाम के कपाट भी बंद कर दिए जाएंगे। अगले दिन शुद्धिकरण के बाद ही इन मंदिरों में पूजा-अर्चना की जाएगी।
शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण से नौ घंटे पहले ही शुरू हो जाता है, तो इस हिसाब से सूतक 16 जुलाई को शाम 4 बजकर 31 मिनट से ही शुरू हो जाएगा. ऐसे में सूतक काल शुरू होने से पहले गुरु पूर्णिमा की पूजा विधिवत पूरी कर लें। क्योंकि सूतक काल के दौरान पूजा नहीं की जाती है। सूतक काल लगते ही मंदिरों के कपाट भी बंद हो जाएंगे।
ग्रहण काल आरंभ: 16 जुलाई की रात 1 बजकर 31 मिनट
ग्रहण काल का मध्य: 17 जुलाई की सुबह 3 बजकर 1 मिनट
ग्रहण का मोक्ष यानी कि समापन: 17 जुलाई की सुबह 4 बजकर 30 मिनट
अब से 3 घंटे बाद लगने जा रहा है साल के आखिरी चंद्र ग्रहण का सूतक, जरूरी और शुभ कार्यों को पहले ही कर लें पूरा।
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान काटने-छाटने वाले काम नहीं करने चाहिए। जैसे चाकू, ब्लेड, कैंची इत्यादि चीजों का प्रयोग न करें। मान्यता है कि इससे गर्भ में पल पहे बच्चे के विकास पर बुरा असर पड़ता है।