Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को महान दार्शनिक, राजनीति के ज्ञाता माना जाता था। उन्होंने अपनी नीतियों के द्वारा व्यक्ति को सफल होने के साथ समाज में मना-सम्मान देने की कोशिश की है। ऐसे ही आचार्य चाणक्य ने एक श्लोक में बताया है कि कहां पर मां लक्ष्मी हमेशा वास करती है। आमतौर पर मां लक्ष्मी चंचल प्रवृत्ति की हैं, जो एक जगह पर रुकती नहीं है। इसे के कारण उन्हें चतला भी कहा जाता है। उनका एक जगह रुकने का स्वभाव बिल्कुल भी नहीं है। लेकिन आचार्य चाणक्य ने जिस श्री की बात की है वह बुद्धि की सखी है। यह दोनों की एक-दूसरे के बिना नहीं रहती है। ऐसे में जहां श्री रहती हैं वहां पर मां लक्ष्मी का हमेशा वास होता है। श्री जिसके मन या घर में प्रविष्ट हो जाती है, तो अपनी इच्छा से कभी नहीं छोड़ती है। जानिए आचार्य चाणक्य के अनुसार, वह कौन सी जगहें है जहां पर मां लक्ष्मी हमेशा वास करती है।

श्लोक

मूर्खाः यत्र न पूज्यन्ते धान्यं यत्र सुसंचितम् ।
दाम्पत्योः कलहो नास्ति तत्र श्री स्वयमागता॥

आचार्य चाणक्य के अनुसार, धन की देवी लक्ष्मी स्वयं वहां चली आती है जहाँ मूर्खों का सम्मान नहीं होता, अनाज का अचछे से भंडारण होता है, पति-पत्नी के बीच बेकार की लड़ाई न हो।

जहां मुर्खों का सम्मान न होता हो

हमारे समाज में कई ऐसे लोग होते हैं , जिन्हें किसी भी चीज का ज्ञान नहीं होता है, लेकिन वह दिखाते ऐसे ही सबसे ज्यादा ज्ञानी है। ऐसे मूर्खों की जहां पर पूजा की जाती है वहीं पर मां लक्ष्मी कभी भी वास नहीं करती है। आचार्य चाणक्य के अनुसार, जिन जगहों पर मूर्खों का सम्मान न करकें गुणवानों का मान-सम्मान किया जाता है। वां पर हमेशा मां लक्ष्मी वास करती है।

जिस घर में भरा रहता हो अन्न का भंडार

आचार्य चाणक्य के अनुसार, जिस घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है। अन्न खत्म होने से पहले उसे भर दिया जाता है, तो वहां पर मां लक्ष्मी वास करती है। वहीं जहां पर अन्न का एक भी दाना नहीं होता है तो मां की कृपा भी उसके ऊपर नहीं होती है। इसलिए व्यक्ति को हमेशा अपने घर का अन्न भंडार भरा हुआ रखना चाहिए।

पति-पत्नी के बीच न होती हो कलह

चाणक्य नीति के अनुसार, जिस घर में पति-पत्नी के बीच कलह मची रहती है, तो वहां पर मां लक्ष्मी कभी भी नहीं आती है। अगर पति-पत्नी के बीच प्यार बना रहता है और हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं, तो उस घर नें हमेशा खुशहाली बनी रहती है।