Chanakya Niti:आचार्य चाणक्य को एक कुशल राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ और रणनीतिकार होने के साथ-साथ अर्थशास्त्र के मर्मज्ञ थे। उन्होंने लोगों को अपने जीवन में आने वाली हर एक परेशानी से दूर रहने के लिए चाणक्य नीति अपनाने के लिए कहा। चाणक्य की इस नीति में जीवन के कई पहलुओं की समस्याओं से जुड़े सूत्र हैं जिन्हें अपनाकर लोग अपनी परेशानियों का निवारण करते हैं। ऐसे ही आचार्य चाणक्य से अच्छे घर के बारे में बताया गया है। उन्होंने बताया है कि जिस घर में ये तीन काम नहीं होते हैं, तो वह घर श्मशान बन जाता है। 

आचार्य चाणक्य ने उस गृहस्थ को सबसे ज्यादा सुखी बताया है, जिसके घर में मंगल कार्य समय-समय पर होते रहते हैं, वेद मंत्रों का उच्चारण होता हो, जिसकी  संतान बुद्धिमान, पत्नी मधुरभाषिणी हो, जिसके घर धन सत्कर्म से आता हो, अतिथियों को सत्कार, बड़ों की आज्ञा का पालन आदि करते है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर मनुष्य को सुखी जीवन चाहिए, तो वह बेकार की बातों से ध्यान हटाकर धर्म-कर्म में लगाएं। इससे आपको लाभ मिल सकता है।  

श्लोक

न विप्रपादोदककर्दमानि न वेदशास्त्रध्वनिगर्जितानि ।
स्वाहा- स्वधाकार-विवर्जितानि श्मशानतुल्यानि गुहाणि तानि ।।

अर्थ

आचार्य चाणक्य इस श्लोक में उन कामों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अगर घर में नहीं किया जाता है, तो वह घर श्मशान के समान होता है। आचार्य कहते हैं जिन घरों में ब्राह्मणों के पांव धोने वाले जल से कीचड़ न हुआ हो, जहां वेद आदि शास्त्रों के पाठ न होते हों, जिसमें स्वाहा और स्वधा इन शब्दों का उच्चारण न होता हो, वे घर श्मशान के समान हैं।

ब्राह्मणों का सम्मान न करना

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि घर परिवार की सुख-समृद्धि, तरक्की आदि घर से अवश्य जुड़ी होती है। ऐसे में कुछ कार्यों को घर में अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा अधिक बढ़ जाती है और जीवन में खुशियां ही खुशियां आती है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिन घरों में ब्राह्मणों का आदर-सत्कार नहीं हो। घर आए या भिक्षा मांगने आए ब्राह्मणों को बिना कुछ दिये वापस भेज देते हैं या फिर उनका अपमान करते हैं, तो ऐसी जगहों पर कभी भी प्रभु की कृपा नहीं होता है। एक सही ब्राह्मणों का सत्कार करने के साथ दक्षिणा आदि देने के साथ विदा करना चाहिए। इससे वह आपको सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

घर में पूजा पाठ न करना

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस घर में पूजा पाठ न करना, वेदों या मंत्रों का जाप न करने वाले घर में कभी भी देवी-देवता वास नहीं करते हैं। ऐसी जगहों पर दरिद्रता का वास होता है।

शुभ काम न होना

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस घर में किसी भी तरह के शुभ काम नहीं होते हैं, तो वह घर भी श्मशान के मान होता है। वह घर मुर्दों का निवास स्थान ही माना जाएगा। वहां जीवनी शक्ति नहीं होती। इसलिए समय-समय पर घर में हवन, पाठ, सत्यनारायण की कथा आदि करना चाहिए, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा अधिक हो।

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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