Chanakya Niti: चाणक्य ने अपनी किताब में जीवन के हर महत्वपूर्ण पहलु पर ज्ञान दिया है। उन्होंने हमारे जीवन को सरल बनाने के लिए जो बातें बताई, वो आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी पहले थीं। चाणक्य ने अपनी किताब में बच्चे के जन्म से जुड़ी बातें भी बताई है। चाणक्य बताते हैं कि बच्चा जब गर्भ में होता है तभी उसके जीवन से जुड़ी 5 बातें तय हो जाती हैं। चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र ‘चाणक्य नीति’ के के चौथे अध्याय के पहले श्लोक में गर्भ में पल रहे बच्चे के जीवन और मृत्यु का ज़िक्र किया है।
चाणक्य ने लिखा है- आयुः कर्म च वित्तं च विद्या निधनमेव च ।
पञ्चैतानि हि सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः ।।
अर्थात जीव जब गर्भ में होता है तभी आयु, कर्म, धन, विद्या और मृत्यु- ये पांच बातें निश्चित हो जाती हैं। चाणक्य का मानना था कि गर्भ में पल रहे बच्चे की आयु पूर्व में ही तय होती है कि वो किस अवस्था में जाकर मृत्यु को प्राप्त करेगा। बच्चे के कर्म कैसे होंगे, इसका निर्धारण भी मां के गर्भ में ही हो जाता है। बच्चा पापी होगा या पुण्य का काम करेगा, सब पहले से ही तय रहता है।
चाणक्य कहते हैं कि बच्चा बड़ा होकर कितना धन अर्जित करेगा ये भी मां के गर्भ में ही तय हो जाता है। बच्चा अपने गुणों से धनवान बनेगा या परिवार को बदहाली की तरफ ले जाएगा ये भी उसके जन्म से पूर्व ही तय होता है।
चाणक्य अपने श्लोक में कहते हैं कि बच्चा इतना बुद्धिमान होगा, गर्भ में ही इसका निर्धारण होता है। चाणक्य ये भी कहते हैं कि बच्चे की मृत्यु भी गर्भ में ही तय हो जाती है। उनका कहना है कि मनुष्य के जीवन में सौ बार मृत्यु का योग बनता है। सौ बार में एक बार काल मृत्यु का होता है और बाकी के योग अकाल मृत्यु के होते हैं।
चाणक्य के अनुसार, मनुष्य अपने अच्छे कर्मों से अकाल मृत्यु का योग बदल सकता है। चाणक्य कहते हैं कि ये सभी चीजें बच्चे के पिछले जन्म के कर्म और माता के कर्म को मिलाकर तय होतीं हैं।