Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्य को महान ज्ञाता, कुशल राजनीतिज्ञ और सफल अर्थशास्त्री माना जाता है। कुशल समाजशास्त्री व अर्थशास्त्री चाणक्य ने अपनी किताब चाणक्य नीति में कई ऐसी बातों का जिक्र किया है जिसका महत्व वर्तमान समय में भी कम नहीं हुआ है। इनकी चाणक्य नीति पुस्तक में जीवन को सफल बनाने के लिए कई उपयोगी सुझाव दिए गए हैं। आज के दौर में खुशहाल जीवन जीने के लिए धन बेहद जरूरी है। इनकी चाणक्य नीति पुस्तक में जीवन को सफल बनाने के लिए कई उपयोगी सुझाव दिए गए हैं।

चाणक्य ने अपने ग्रंथ में बचत, निवेश तथा धन खर्च को लेकर कई बातें बतायी हैं, जिनका अनुसरण कर लोग बुरे दिनों में आर्थिक कठिनाइयों से बच सकते हैं। आचार्य चाणक्य के मुताबिक जिनके पास धन मौजूद हो उन्हें ये 5 कार्य करने से बचना चाहिए अन्यथा मां लक्ष्मी कुपित हो जाती हैं और उन्हें धन हानि का सामना करना पड़ता है।

धन मिलने पर इस बात का जिक्र कहीं न करें। अपनी मेहनत से कमाए हुए धन की अधिक सुरक्षा करने की आवश्यकता होती है। धन प्राप्ति के बाद उसे कैसे मैनेज करना है, व्यक्ति को इस बारे में भी सोचना चाहिए। धन को कैसे खर्च करना है, उसके बचत व सेफ्टी को लेकर जागरुक रहें। चाणक्य कहते हैं कि धन प्राप्ति पर उसकी चर्चा करने से दुश्मन और चोरों के कान खड़े हो जाते हैं, जिससे धन हानि का खतरा बढ़ता है।

इसके अलावा, पैसे मिलने पर लोगों को घमंड भी नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से लक्ष्मी माता कुपित हो जाती हैं और उस इंसान को अपनी कृपा दृष्टि से वंचित कर देती हैं। चाणक्य कहते हैं कि धन प्राप्ति पर लोगों को ज्यादा उत्साहित होने से बचना चाहिए।

लक्ष्मी को चंचल माना जाता है। इसलिए लक्ष्मी का उपयोग बड़ी ही सावधानी से करना चाहिए। चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति पैसे का उपयोग सही जगह और सही समय के हिसाब से करता है उसे हमेशा सफलता मिलती है। उनका मानना है कि संकट के समय में केवल धन ही मनुष्य का सच्चा साथी होता है, इसलिए धन को सोच-समझकर खर्च करना चाहिए।

चाणक्य का मानना है कि अनैतिक रूप से कमाए गए धन का हाल बुरा होता है। ऐसा धन लंबे समय तक नहीं टिक पाता। उनके मुताबिक किसी भी गलत मकसद से अगर धन का इस्तेमाल होता है तो उस व्यक्ति के पास अधिक समय तक धन नहीं टिकता है।

वहीं, आचार्य चाणक्य धन प्राप्ति के बाद लोगों को दिखावा करने से भी बचने की सलाह देते हैं। पैसों का दिखावा करने वाले लोगों के कई लोग शत्रु बन जाते हैं या फिर उनसे दूरी बनाने लगते हैं। ऐसे में जरूरी है कि अपनी आमदनी का इस्तेमाल लोग सत्कर्मों के लिए करें।