महान अर्थशास्त्री और कुशल राजनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में लोगों को सही जीवन जीने का सलीका सिखाया है। आचार्य चाणक्य की नीतियों के कारण ही चंद्रगुप्त मौर्य राज गद्दी पर बैठ पाए थे। चाणक्य समाज और लोगों के व्यक्तित्व की गहराई से समझ रखते थे। ऐसा कोई विषय नहीं है, जिस पर उन्होंने बात ना की है। आचार्य चाणक्य की नीतियां आज के समय में भी प्रासंगिक लगती हैं।

आचार्य चाणक्य ने लोगों को उनके लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कुछ मूल मंत्र दिए हैं, जो आपको कामयाबी दिलाने में मदद करते हैं। आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कहा है कि अगर आप कोई लक्ष्य निर्धारित कर रहे हैं, तो सबसे पहले खुद से तीन प्रश्न करें। पहला प्रश्न, मैं ये काम क्यों कर रहा हूं? दूसरा, इसका परिणाम क्या होगा और तीसरा क्या मुझे इसमें सफलता मिलेगी? जब इन तीनों पश्नों के उत्तर आपको संतोषजनक लगें, तो ही अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाएं।

लक्ष्य को रखें गुप्त: अपने लक्ष्य को पूरी तरह से गुप्त रखना चाहिए। साथ ही उसे पूरा करने के लिए आपने क्या रणनीति बनाई है, इसका भी किसी से जिक्र ना करें। आचार्य चाणक्य के अनुसार आपको केवल अपने लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में मेहनत करते रहना चाहिए।

संकट आने पर ना घबराएं: लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में अगर कोई संकट आ रहा है, तो इससे घबराना नहीं चाहिए। ना ही अपने लक्ष्य को बीच में छोड़ना चाहिए। धैर्य और सकारात्मकता के साथ संकट का सामना करने की सलाह आचार्य चाणक्य ने दी है।

भावुक होकर ना लें कोई गलत फैसला: हर व्यक्ति आपसे किसी ना किसी स्वार्थ के कारण ही जुड़ा होता है। अगर लक्ष्य की प्राप्ति में भी आपकी कोई मदद कर रहा है, तो इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि भावुक होकर कभी कोई गलत फैसला ना लें।

धर्म का मार्ग कभी ना छोड़ें: अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए भी धर्म का मार्ग कभी नहीं छोड़ना चाहिए। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब ही समाज में मान-प्रतिष्ठा मिलती है। ऐसे में अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पूरी मेहनत करनी चाहिए और कभी धर्म के मार्ग से भटकना नहीं चाहिए।