Chanakya Neeti: आचार्य चाणक्य सम्राट चंद्रगुप्त के शिक्षक होने के साथ ही कुशल राजनीतिज्ञ भी थे। चाणक्य को एक दूरदर्शी राजनेता के रूप में मौर्य साम्राज्य का संस्थापक और संरक्षक माना जाता है। कौटिल्य की विद्वता, निपुणता और दूरदर्शिता का बखान भारत के शास्त्रों, काव्यों तथा अन्य ग्रंथों में किया गया है। भारतीय विचारक मानते हैं कि चाणक्य उन लोगों में से एक हैं जिन्होने सबसे पहले एकछत्र भारत की कल्पना की थी।
हालांकि, कई लोग ऐसा भी मानते हैं कि चाणक्य अगर एक बार नाराज हो गए तो उनके क्रोध की अग्नि से बच पाना असंभव के समान था। कौटिल्य द्वारा नंदवंश का विनाश और मौर्यवंश की स्थापना का किस्सा बहुत ही प्रसिद्ध व महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं किस बात पर चाणक्य नंद वंश के राजा से हो गए थे क्रोधित-
राजा ने किया था आचार्य चाणक्य का अपमान: मगध राज्य में किसी यज्ञ का आयोजन किया गया था। इस यज्ञ में चाणक्य भी पहुंचे और जाकर एक प्रधान आसन पर बैठ गए। वहां मौजूद महाराज नंद ने उन्हें आसन पर बैठे देख चाणक्य की वेशभूषा को लेकर उनका अपमान किया और उन्हें आसन से उठने का आदेश दिया। इसी बात से क्रोधित होकर चाणक्य ने पूरे सभा के बीच नंदवंश के राजा से बदला लेने की प्रतिज्ञा ली। उन्होंने राजा से कहा कि व्यक्ति अपने गुणों से ऊपर बैठता है, ऊंचे स्थान पर बैठने से कोई भी ऊंचा नहीं हो जाता है। अपनी प्रतिज्ञा को पूरी करने के लिए आचार्य ने एक साधारण से बालक राजकुमार चंद्रगुप्त को शिक्षा-दीक्षा देकर सम्राट की गद्दी पर बिठा दिया।
इस नीति से लिया बदला: चाणक्य ने अपने अपमान के समय मौन रहना ही उचित समझा और बदले की आग को अपने अंदर सजोकर रखा। चाणक्य के अनुसार अगर कोई अपमानित करे तो चुप रहें। हो सके तो ऐसे लोगों की तरफ देखकर केवल मुस्करा दें जिससे वह खुद ही अपमानित महसूस करने लगे। उन्होंने पोरस को अपने साथ लिया और भी कई देश के राजाओं को मिलाकर घनानंद पर आक्रमण कर दिया। उनका मानना था कि देश को आगे बढ़ाने के लिए दूसरे देशों से संबंध मजबूत करना बहुत अहम है। आचार्य चाणक्य ने जासूसों की एक बड़ी सेना बनाई जो मगध के अंदर की खबर लाकर उन्हें देते थे। उनके अनुसार कभी भी शत्रु के बारे में गुस्से से नहीं सोचना चाहिए क्योंकि इससे आपकी विश्लेषण की क्षमता खत्म हो जाती है। महान ऋषि वात्सायन के भेष में चाणक्य कई जगह कथा सुनाते थे जिसके दौरान वो लोगों को चंद्रगुप्त की सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करते रहते थे।