Bhishma Ashtami: भीष्म अष्टमी (भीष्माष्टमी) माघ शुक्ल अष्टमी को पड़ती है। भीष्म अष्टमी आज यानी 8 फरवरी, मंगलवार को मनाई जाएगी। शास्त्रों के अनुसार इस दिन महाभारत के प्रमुख पात्र भीष्म पितामह ने अपनी इच्छा से शरीर त्याग किया था। ऐसी मान्यता है कि गंगा-पुत्र भीष्म के निमित्त जो भी भीष्म अष्टमी का व्रत, पूजा और तर्पण करता है, उसे वीर और सत्ववादी पुत्र की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं पौराणिक कथा और पूजा- विधि…
अष्टमी तिथि पर ही त्यागे थे प्राण:
सूर्य के उत्तरायण होने पर युधिष्ठिर, सगे-संबंधी , ऋषि आदि पितामह के पास पहुंचे तो उन्होंने कहा सूर्य के उत्तरायण होने के पश्चात माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी का दिन आ गया है, अब मैं अपनी देह त्याग रहा हूं। इतना कहते हुए पितामह ने अपना शरीर छोड़ दिया। मार्गशीर्ष शुक्ल 14 से प्रारंभ होकर महाभारत का युद्ध कुल 18 दिन चला था जिसमें दसवें दिन भीष्म पितामह अर्जुन के तीरों से घायल होकर शर शैय्या पर लेट गए थे। इसके बाद उन्होंने 58 दिनों तक शर शैय्या पर लेटे रहने के बाद माघ शुक्ल अष्टमी को अपने प्राण त्यागे।
मोक्ष की होती है प्राप्ति:
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि भीष्म अष्टमी का व्रत करने वाले के जाने-अनजाने में किए हुए पाप नष्ट हो जाते हैं और साथ ही पितृदोष से मुक्ति और पितरों को शांति मिलती है। महाभारत की कथा के अनुसार मान्यता है कि इस दिन अपनी इच्छा से इस दिन शरीर त्याग किया था। भीष्म पितामह के निमित्त जो श्रद्धालु तिल, जल के साथ श्राद्ध, तर्पण करता है और जरुरतमंद लोगों को दान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। शुभ मुहुर्त सुबह 10 बजे के बाद से है। (यह भी पढ़ें)- Gemology: सफेद पुखराज पहनने से इन राशि के लोगों का चमक सकता है भाग्य, जानिए धारण करने की सही विधि
शुक्लाष्टम्यां तु माघस्य दद्याद् भीष्माय यो जलम्।
संवत्सरकृंत पापं तत्क्षणादेव नश्यति।।
इस दिन पूजा के बाद इस श्लोक का पाठ करना लाभकारी माना जाता है। (यह भी पढ़ें)- Astrology: कुंडली में हों ऐसे योग तो पति-पत्नी के बीच रहता है जबरदस्त प्रेम, देखें- कहीं आपकी जन्मकुंडली में तो नहीं बन रहा यह संयोग
