Bhaum Pradosh Vrat 2025: शास्त्रों में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। वहीं साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। इस क्रम में हर मास कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एक-एक प्रदोष व्रत पड़ता है और हर एक का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति व्रत रखकर शाम को भोलेनाथ की पूजा- अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएंं पूर्ण होती हैं। यहां हम बात करने जा रहे हैं भौम प्रदोष के बारे में, जो 11 मार्च को रखा जाएगा। वहीं इस दिन दो शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व औऱ भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं तिथि और शुभ मुहूर्त…
भौम प्रदोष व्रत की तिथि 2025
ज्योतिष पंचांग के मुताबिक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 11 मार्च को सुबह 08 बजकर 12 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 12 मार्च को सुबह 09 बजकर 12 मिनट पर तिथि का समाप्त होगी। इस प्रकार 11 मार्च को प्रदोष व्रत रखा जाएगा।
भौम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त 2025
प्रदोष व्रत के दिन महादेव की पूजा संध्याकाल में होती है। इस दिन पूजा करना का शुभ मुहूर्त शाम को 06 बजकर 26 मिनट से 08 बजकर 52 मिनट तक है।
2 शुभ योग में भौम प्रदोष व्रत
पंचांग अनुसार भौम प्रदोष व्रत के दिन सुकर्मा और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। जिनको ज्योतिष में बेहद शुभ माना जाता है। इन योगों में पूजा करने से दोगुना फल प्राप्त होता है।
प्रदोष व्रत पूजन सामग्री
जल, गंगाजल, दूध, बेलपत्र, नीला फूल, सफेद चंदन, लाल या पीला गुलाल,अक्षत, धतूरा, आक का फूल, भांग, भस्म, फल, मिठाई, घी का दीपक, धूप, प्रदोष व्रत कथा की किताब, घंटी, मिठाई आदि।
भौम प्रदोष व्रत का महत्व
इस व्रत को रखने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही अगर कुंडली में भौम दोष हो तो इस दिन व्रत रखने से मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव में कमी आती है। साथ ही हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है।
भौम प्रदोष व्रत मंत्र (Pradosh Vrat Mantra)
ऊं नम: शिवाय
ऊं आशुतोषाय नम:
ऊं नमो धनदाय स्वाहा
ऊं ह्रीं नम: शिवाय ह्रीं ऊं
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।