Bhaum Pradosha Vrat 2021 Date: हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रत्येक दिन के अनुसार इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जिस बार ये व्रत मंगलवार के दिन पड़ता है तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं। भौम यानि मंगल, इस दिन के कारण ही इस प्रदोष व्रत में बजरंगबली की पूजा का भी खास महत्व होता है। बता दें कि प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। ऐसे में मान्यता है कि महादेव के साथ हनुमान जी की पूजा करने से भक्त शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही, उनके आशीर्वाद से कर्ज से मुक्ति मिलने की भी मान्यता है। बता दें कि पौष माह में प्रदोष व्रत 26 जनवरी को है।

क्या है महत्व: माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से और भगवान शिव को पूजने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं। साथ ही, महादेव की कृपा से देह त्यागने के बाद मनुष्य को मोक्ष प्राप्त होता है। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन व्रत करने से दो गाय दान करने जितना पुण्य मिलता है। मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत रखने से मंगल ग्रह के प्रकोप से मुक्ति मिलती है।

दिन के अनुसार क्या हैं प्रदोष व्रत के नाम: जो प्रदोष सोमवार के दिन पड़ता है उसे सोम प्रदोष कहते हैं। मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं। बुधवार को आने वाले प्रदोष को सौम्यवारा प्रदोष भी कहा जाता है। गुरुवार को जब प्रदोष व्रत होता है तो उसे गुरुवारा प्रदोष कहते हैं। वहीं, शुक्रवार के दिन को भ्रुगुवारा प्रदोष और शनिवार को शनि प्रदोष कहा जाता है। जो प्रदोष रविवार के दिन पड़ता है उसे भानुप्रदोष या रवि प्रदोष कहते हैं।

किस तरह करें पूजा: प्रातः जल्दी उठकर नहा-धो लें और पूजा की जगह की सफाई कर लें। भगवान शिव की पूजा के बाद व्रत का संकल्प लें। दिन भर निराहार रहें और सूर्यास्त होने से कुछ समय पूर्व स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करें। भगवान शिव की प्रतिमा अथवा तस्वीर को घर के ईशाण कोण में स्थापित करें। महादेव को धूप, दीप, नैवेद्य और पुष्प चढ़ाएं। इसके बाद कुश के आसन पर बैठकर शिवजी के मंत्रों का जाप करें। फिर हनुमान जी की उपासना करें। अंत में महादेव की आरती गाएं।