बांदा,उत्तर प्रदेश का एक ऐसा अहम हिस्सा है जिसको लेकर तमाम तरह की पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। बुंदेलखंड से जुड़े एक ऐसे अद्भुत कुएं के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जिसको लेकर अजीबो गरीब किस्से व कहानियां जुड़ी हुई हैं। पहले तो मुझे भी विश्वास नहीं था पर जब मुझे वहां जाने का मौका मिला तो मैने वहां जाकर आस्था का सैलाब देखा। वह सब देखकर इस अद्भुत कुएं से जुड़ी कहानियों पर यकीन करने के लिए मैं भी मजबूर हो गया। एक कुआं और उस कुएं के पानी को प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं की भीड़ को देख मैं अचंभित था। मुझे भी इस अद्भुत कुएं के पानी का सेवन करने का मौका प्राप्त हुआ आइए हम आपको बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में ऐसा कौन सा कुआं है जिसके पानी के सेवन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
कहां पर है यह अद्भुत कुआं और क्या है मान्यता:
उत्तर प्रदेश के लखनऊ से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर बांदा पड़ता है। और बांदा से जब चित्रकूट के लिए चलते हैं तो कुछ दूर चलने के बाद भरतकूप पड़ता है। रास्ते में दिखता तो एक छोटे से कस्बे की तरह है लेकिन जब आप इस अद्भुत भरतकूप के नजदीक पहुंचते हैं तो आप खुद को अचंभित पाते हैं। यह देखकर कि एक ऐसे छोटे से गांव में कितने सारे लोग हैं। लेकिन जब आप जानकारी करेंगे तो पाएंगे कि भारत के कोने-कोने से यहां पर लोग इस अद्भुत कुएं के पानी से स्नान करने के लिए आते हैं। दिनभर भरतकूप गांव में मेल सा लगा रहता है। दूर-दूर से लोग आते हैं। वे यहां पर मौजूद मंदिर के दर्शन कर भरतकूप के पानी से स्नान किए बगैर नहीं जाते। यहां आने वाले लोगों की अगर मानें तो इस कुएं के पानी से स्नान करने के बाद कुष्ठ रोग जैसे अन्य असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं। ऐसा हम नहीं यहां पर मौजूद लोग कह रहे थे।

80 वर्षीय रामदुलारे जोकि इसी गांव में रहते हैं और अपने जीवन में कभी भी कोई ऐसा दिन नहीं गया जब वह इस कुएं पर आकर स्नान ना करते हों। आइए उनके द्वारा दी गई जानकारी से हम आपको अवगत कराते हैं। रामदुलारी ने बताया कि इस इस अद्भुत कुएं को वह बचपन से देख रहे हैं। वह यहां तक कहते हैं कि यह कुआं बहुत पुराना है। उन्होंने कहा कि उनके पूर्वज बताया करते थे कि जब प्रभु श्रीराम चौदह साल का वनवास काटने के लिए चित्रकूट आए थे। उस समय भरत जी अयोध्या की जनता के साथ उन्हें यहां मनाने आए थे। साथ में प्रभु का राज्याभिषेक करने को समस्त तीर्थों का जल भी लाए थे लेकिन भगवान राम चौदह साल वन रहने को दृढ़ प्रतिज्ञ थे। इस पर भरत जी काफी निराश हुए और जो जल व सामग्री प्रभु के राज्याभिषेक को लाए थे, उसको इसी कूप में छोड़ दिया था। और भगवान राम की खड़ाऊ लेकर लौट गए थे।
यहां पर बना भरतकूप मंदिर भी अत्यंत भव्य है। इस मंदिर में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघन की मूर्तियां विराजमान हैं। सभी प्रतिमाएं धातु की हैं। वास्तुशिल्प के आधार पर मंदिर काफी प्राचीन है। रामदुलारे ने कहा कि पूर्वज बताते थे कि बुंदेली शासकों के समय में मंदिर का निर्माण हुआ था। रामदुलारे में बताया कि पूर्वजों का कहना था कि इस कूप में स्नान से समस्त तीर्थों का पुण्य तो मिलता ही है। इसके साथ ही शरीर के असाध्य रोग भी दूर होते हैं।

रामदुलारे ने बताया कि इसका वर्णन तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में भी वर्णित किया है। वैसे तो यहां पर साल भर भक्तों का आना-जाना लगा रहता है लेकिन सबसे अधिक श्रद्धालु मकर संक्रांति में यहां पहुंच कर कूप में स्नान कर पुण्य लाभ लेते हैं। रामदुलार ने बताया की भरतकूप में मकर संक्रांति को पांच दिन मेला लगता है। यहां पर बुंदेलखंड व भारत के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु आते हैं और इस कूप में स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं। वैसे प्रत्येक अमावस्या में भी यहां पर श्रद्धालु स्नान करने के बाद चित्रकूट जाते हैं और फिर मंदाकिनी में स्नान कर कामदगिरि की परिक्रमा लगाते हैं। जब यहां पर मेला लगता है तो क्या दिन और क्या रात मानव सब जगह एक जैसा ही लगता है। क्योंकि यहां पर श्रद्धालुओं के आने-जाने का तांता लगा ही रहता है।
यहीं पर है भारत मंदिर:
अद्भुत कुएं के पास ही एक प्राचीन भरत मंदिर है। भरत मंदिर भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक भरत मंदिर है। इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान भरत और उनकी पत्नी माण्डवी की संयुक्त मूर्ति विराजमान है। इस संयुक्त मूर्ति के साथ-साथ भरत के अग्रज भगवान राम और उनकी पत्नी सीता थीं। भगवान राम के अनुज लक्ष्मण की मूर्तियां इस मंदिर के गर्भगृह की शोभा को बढ़ाती हैं। यहां भगवान भरत और उनकी पत्नी माण्डवी की मूर्तियां बलुआ पत्थर की बनी हुई हैं जो अत्यंत प्राचीन काल की है तथा शेष अन्य मूर्तियां सफेद संगमरमर की बनी हुई हैं।
मूर्तियों का अलंकरण वस्त्रों एवं आभूषणों द्वारा किया गया है जो इन मूर्तियों की शोभा में चार चांद लगाते हैं। मंदिर के अहाते में भगवान शिव की एक प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। यह शिवलिंग भी भरतकूप आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए एक आकर्षण का केन्द्र बिंदु है। इस मंदिर का दर्शन करने के लिए देश-विदेश के लोग समय-समय पर आते-जाते रहते हैं।