Bhalchandra Sankashti Chaturthi 2025: वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र माह में जो संकष्टी चतुर्थी पड़ती है उसको भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। यह संकष्टी चुतुर्थी का व्रत भगवान भोलेनाथ के अनुज पुत्र भगवान गणेश को समर्पित है। इस साल भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत 17 मार्च यानी आज रखा जा रहा है। वहीं इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा- अर्चना करने का विधान है। वहीं अगर आप इस दिन व्रत रख रहे हैं तो इस व्रत कथा को पड़ना जरूरी माना जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत कथा के बारे में…
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा 2025
पुराणों के अनुसार एक बार सभी देवता संकट में घिर गए और परेशान होकर भगवान शिव के पास पहुंचे। उस समय भगवान शिव और माता पार्वती अपने दोनों पुत्र कार्तिकेय और गणेश जी के साथ मौजूद थे। देवताओं की समस्या सुनकर भगवान शिव ने अपने पुत्रों से कहा कि तुम दोनों में से इनकी समस्याओं का निवारण कौन कर सकता है। ऐसे में दोनों ने एक ही स्वर में खुद को योग्य बताया।
भगवान शिव असमंजस में पड़ गए कि किसे ये कार्य सौंपा जाए। तो ऐसे में भगवान शिव ने एक तरकीब निकाली और अपने पुत्रों से कहा तुम दोनों में से जो सबसे पहले इस पूरी पृथ्वी का चक्कर लगा कर आएगा, वही देवताओं की मदद करने जाएगा। शिव जी की बात सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठ कर निकल गए। लेकिन गणेश सोचने लगे कि मूषक पर बैठकर वह कैसे इतनी जल्दी पृथ्वी की परिक्रमा कर पाएंगे। बहुत सोच-विचार के बाद वे अपने स्थान से उठे और अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करके अपने स्थान पर वापस बैठ गए और कार्तिकेय के आने का इंतजार करने लगे।
भगवान शिव ने गणेश जी से परिक्रमा न करने का कारण पूछा, तो उन्होंने कहा कि माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक है। उनके इस जवाब से भगवान शिव भी प्रसन्न हो गए और उन्हें देवता की मदद करने का कार्य सौंपा। साथ ही ये भी कहा कि हर चतुर्थी के दिन जो तुम्हारी पूजा और उपासना करेगा उसके सभी कष्टों का निवारण हो जाएगा। कहते हैं कि गणेश चतुर्थी के दिन व्रत कथा पढ़ने और सुनने से सभी कष्टों का नाश हो जाता है।