Bal Gopal Puja: भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा अधिकतर घरों में की जाती है। इतना ही नहीं ठाकुर जी को अपने पुत्र के भांति मानते हैं और उनकी सेवा करते हैं। उनकी विधिवत पूजा करने के अलावा स्नान, श्रृंगार, सुंदर वस्त्र पहनाते हैं। इसके साथ ही माला,मुकुट, मोर पंख के साथ फूल, इत्र आदि चढ़ाते हैं। विधिवत रूप से उन्हें तैयार करने के साथ-साथ उनकी मनपसंद चीजों का भोग लगाते हैं। भक्त अपने ठाकुर जी को दिन में कई बार भोग लगाने के साथ उन्हें विश्राम कराते हैं। रात को सोने से पहले दूध आदि पिलाने के बाद एक आरामदायक बिस्तर में आराम कराते हैं, जैसे मानों वो उन्हीं का बेटा हो। लेकिन ऐसे में कई बार भक्तों के मन में सवाल उत्पन्न होता है कि अगर घर या परिवार में किसी का देहांत या फिर किसी का जन्म हो जाएं, तो अपने ठाकुर जी की सेवा करनी चाहिए कि नहीं? आइए प्रसिद्ध  प्रेमानंद महाराज जी से जानते हैं कि सूतक के समय बाल गोपाल की पूजा करनी चाहिए कि नहीं?

सूतक क्या है?

बता दें कि घर में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो दाह संस्कार करने के साथ ही एक तरह का सूतक शुरू हो जाता है। ऐसे में अगले 13 दिन किसी भी तरह से शुभ काम से लेकर पूजा-पाठ तक करने की मनाही होती है। घर में मृत्यु हो जाने के कारण घर के साथ ही शरीर भी अशुद्ध हो जाता है। इसी तरह घर में बच्चे के जन्म पर भी सूतक लगता है। इस दौरान भी पूजा-पाठ की मनाही होती है।

सूतक में ठाकुर जी की सेवा करें कि नहीं?

महाराज प्रेमानंद का कहना कि घर में किसी की मृत्यु हो जाने पर सबका पहले विचार आता है कि अब ठाकुर जी की सेवा कैसे करें। इसके लिए क्या 13 दिन हम भी उपवास रख लें? इससे बाल गोपाल की भी एक सेवा हो जाएगी या फिर किसी दूसरे गोत्र के व्यक्ति या फिर पड़ोसी को दे दें, जिससे बाल गोपाल की सेवा में किसी भी प्रकार की कमी न हो।

प्रेमानंद महाराज जी कहना है कि  ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। वह आपका लाडला है, आप अपने लाडले को कैसे भूखा छोड़ सकते है। वह आपके लिए प्राण जीवन धन है। आप ऐसे किसी को कैसे देख सकते हैं। क्या आप अपने संतान को किसी दूसरे को दे सकते हैं। नहीं ना, क्योंकि वह आपका लाडला है। ऐसे में बाल गोपाल तो लाडले का लाडला है, जो हर किसी के हृदय में विराजमान हैं और हर कोई उन्हें प्रेम करता है। ऐसे में अगर वह चले गए, तो फिर किससे प्रेम करेंगे।

घर में विराजमान बाल गोपाल को सिर्फ हम मूर्ति नहीं मानते हैं बल्कि साक्षात बाल गोपाल को मानते हैं। किसी के आने पर या फिर जाने पर बाल गोपाल की सेवा में कोई अवरुद्ध नहीं आना चाहिए। उनकी सेवा रोजाना की तरह ही करना चाहिए।