Bakrid Eid Ul Adha 2024 Date, Eid Kab Ki Hai: मुस्लिम धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक बकरीद का पर्व दुनियाभर में धूमधाम से मनाते है। इसे ईद-अल-अज़हा भी कहते हैं। भारत में जिलहिज्जा का चांद दिखने के बाद बकरीद की तारीख का निर्णय लिया जाता है। इस पर्व को कुर्बानी के तौर पर मनाया जाता है। इसे बकरा ईद भी कहा जाता है। मोहम्मद पैगंबर के त्याग और कुर्बानी का ये पर्व काफी खास होता है। इस साल बकरीद की तिथि को लेकर लेकर कई लोगों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आइए जानते हैं बकरीद की सही तिथि, महत्व और क्यों दी जाती है जानवर की कुर्बानी…
कब है ईद-अल-अज़हा (बकरीद 2024)? (Bakrid Eid ul Adha 2024 Date)
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, 12वें महीने ज़ु अल-हज्जा की 10वीं तारीख को बकरीद का पर्व मनाया जाता है। इस साल ज़ु अल-हज्जा महीना 30 दिन का है। इसलिए बकरीद 17 जून को मनाई जाएगी।
क्यों दी जाती है किसी जानवर की कुर्बानी?
बकरीद के दिन को कुर्बानी के तौर पर मनाते हैं। इस दिन बकरे सहित कुछ अन्य जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। मान्यता है कि इस पर्व को त्याग और कुर्बानी के रूप में मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, एक बार अल्लाह ने पैगंबर हज़रत इब्राहीम का इम्तिहान लेनी की सोची। ऐसे में उन्होंने हज़रत इब्राहीम को ख्वाब के जरिए अपनी एक प्यारी चीज को अल्लाह के लिए कुर्बान करने के लिए कहा। जब हज़रत इब्राहीम उठे, तो वह इस सोच में पड़ गए कि आखिर उनके लिए सबसे प्रिय चीज क्या है? तो उन्हें अपने बेटे की याद आईं। बता दें कि हज़रत इब्राहीम जी को अपने इकलौते बेटे इस्माइल से सबसे ज्यादा प्रेम था। वो ही एक ऐसी चीज थी जो उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय थी। लेकिन अल्लाह के लिए वह अपने बेटे को कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए।
जब वह अपने बेटे को लेकर कुर्बान करने के लिए जा रहे थे, तो उन्हें रास्ते में एक शैतान मिला। जिसने हज़रत इब्राहीम को सुझाव दिया कि वह अपने बेटे को क्यों कुर्बान कर रहे हैं इसके बदले किसी जानवर की कुर्बानी दे दें। हज़रत इब्राहीम साहब को शैतान की ये बात अच्छी लगी। लेकिन उन्होंने सोचा कि ये तो अल्लाह के साथ धोखा करना है और उनके द्वारा दिए गए हुक्म की नाफरमानी होगी। इसलिए वह बिना कुछ सोचे अपने बेटे को लेकर आगे बढ़ गए। उस जगह वह पहुंच गए जिस जगह पर बेटे की कुर्बानी देनी थी। लेकिन अपने बेटे के प्रति इंतहा प्रेम के कारण वह अल्लाह की ख्वाहिश को पूरा नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में उन्होंने अपनी आंखों में एक पट्टी बांध लें और अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए छूरी या तलवार उठा ली। ऐसे ही उन्होंने कुर्बानी करके अपनी आंखों से पट्टी हटाई, तो वह देखकर हैरान रह गए है कि उनका बेटा इस्माइल सही सलामत है और उसकी जगह एक डुम्बा ( बकरी की एक प्रजाति) कुर्बान हो गया था। इसके बाद से ही कुर्बानी के तौर पर बकरा को कुर्बान किया जाता है।
डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
