Bakrid 2024 Date in India (बकरीद कब की है): बकरीद का पर्व मुस्लिम धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। ये पर्व दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा पैगम्बर इब्राहीम द्वारा अल्लाह में दृढ़ विश्वास के कारण दिए गए बलिदान की याद के रूप में मनाते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के 12वें और अंतिम महीने, 1445, धुल् हिज्जा के चांद के दिखने पर निर्भर है। इस बार बकरीद का पर्व 17 जून 2024 को मनाया जा रहा है। ईद-अल-अज़हा ईद-उल-फितर की तरह काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। जानें बकरीद का इतिहास और कुर्बानी की परंपरा के बारे में…
कब है बकरीद 2024?
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, 12वें महीने जु अल-हज्जा की 10वीं तारीख को बकरीद का पर्व मनाया जाता है। बता दें कि इस ज़ु अल-हज्जा महीना पूरे 30 दिन का है। इसलिए बकरीद का पर्व 17 जून को मनाया जाएगा।
ईद-उल-अज़हा का जश्न
बता दें कि दुनिया भर के मुसलमान देश के हिसाब से ईद-उल-अज़हा को दो से चार दिनों तक मनाते हैं।
बकरीद में है कुर्बानी देने का नियम
- ईद-उल-अज़हा के दिन किसी जानवर की कुर्बानी देने सबसे जरूरी माना जाता है। ये न केवल पैगम्बर इब्राहीम की बल्कि हमारे पैगम्बर मोहम्मद की भी पक्की सुन्नत है। अल्लाह की राह में पशुओं की कुर्बानी देना एक महान इबादत माना जाता है। बता दें कि की कुर्बानी तय की गई तिथियों में ही दी जानी चाहिए यानी ईद की नमाज़ के बाद (ज़ुल हिज्जा की 10वीं तारीख़) और 13 ज़ुल हिज्जा के सूर्यास्त से पहले ही कुर्बानी दे सकते हैं।
- आप बकरा के अलावा ऊंट,भैंस, भेड़, बकरी आदि की कुर्बानी दे सकते हैं।
- मान्यता है कि भेड़ और बकरी को एक ही कुर्बानी के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। जबक ऊंट को सात लोगों के बीच साक्षा कर सकते हैं।
- कर्बानी के लिए कभी भी पशु के बच्चों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
- कुर्बानी देने वाले व्यक्ति की एक ही नियत होनी चाहिए यानी अल्लाह के नाम पर कुर्बानी देना।
- जो व्यक्ति कुर्बानी देगा, वह ज़ुल कदाह के आखिरी दिन सूरज डूबने के बाद से लेकर बकरीद के दिन तक कुर्बानी देने तक अपने शरीर का कोई बाल, नाखून या फिर किसी तरह से स्किन नहीं हटा सकता है।
- व्यक्ति को सुन्नत को पूरा करने के लिए जानवर को अपने हाथों में ज़बह करें। अगर वह खुद ऐसा करने में सक्षम नहीं है, तो किसी और की मदद ले सकता है।
तीन भागों में बांटा जाता है कुर्बान किया हुआ जानवर
कुर्बानी के बाद जानवर को तीन भागों में बांटा जाता है। एक भाग अपने परिवार के लिए, दूसरा अपने रिश्तेदार, पड़ोसी को उपहार के रूप में दें और तीसरा भाग किसी जरूरतमंद या गरीब को दान देना चाहिए।
डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।