हिंदू धर्म में बुढ़वा मंगल यानी बड़ा मंगल का विशेष महत्व है। हर साल ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले मंगलवार को बुढ़वा मंगल कहा जाता है। ज्येष्ठ माह कई मायनों में खास है। इनमें से एक है भगवान हनुमान के अपने प्रभु श्री राम से मिलना। इसी के कारण जेठ के हर एक मंगल को खास माना जाता है। बता दें कि ज्येष्ठ माह का पहला बुढ़वा मंगल 28 मई को पड़ रहा है। इसके बाद 4, 11 और 18 जून को पड़ेगे। इस दिन भगवान हनुमान की विधिवत पूजा करें। इसके साथ ही अंत में हनुमान जी के इस आरती को अवश्य बोलें। इससे आपकी पूजा पूर्ण होती है। आइए जानते हैं संपूर्ण हनुमान जी की पूजा आरती…

Hanuman Ji Ki Aarti: यहां पढ़े हनुमान जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी

हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti) :

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

हनुमान अष्टदशाक्षर मंत्र

नमो भगवते आन्जनेयाये महाबलाये स्वाहा.
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसहांरणाय सर्वरोगाय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा.
मनोजवं मारुतुल्यवेगं जितेंद्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्. वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये.
ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय.
ॐ पूर्वकपिमुखाय पच्चमुख हनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रु सहंरणाय स्वाहा.
नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः
मर्कटेश महोत्साह सर्वशोक विनाशन.

हनुमान जी के संकटहारी मंत्र

पहला मंत्र- ॐ तेजसे नम:
दूसरा मंत्र- ॐ प्रसन्नात्मने नम:
तीसरा मंत्र- ॐ शूराय नम:
चौथा मंत्र- ॐ शान्ताय नम:
पांचवां मंत्र- ॐ मारुतात्मजाय नमः
छठा मंत्र- ऊं हं हनुमते नम:

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