रत्न शास्त्र में 9 रत्नों का वर्णन मिलता है। जिसमेंं से 5 रत्न ही प्रधान हैं। जो किसी न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं रत्न विज्ञान में इन रत्नों के उपरत्नों का भी वर्णन मिलता है। जो रत्न की तरह असरदायक होते हैं। यहां हम बात करने जा करे हैं नीली उपरत्न के बारे में, जिसे नीलिया और लीलिया भी कहा जाता है। इस उपरत्न का संबंध शनि ग्रह से है। दरअसल नीलम रत्न बाजार में काफी मंहगा मिलता है। जबकि नीली उपरत्न सस्ता मिल जाता है। इसलिए नीली उपरत्न को धारण करके भी लाभ पाया जा सकता है। आइए जानते हैं नीली धारण करने के लाभ और पहनने की सही विधि…

नीली धारण करने के लाभ

रत्न विज्ञान के मुताबिक अगर किसी को नीली उपरत्न सूट करता है तो उसके लाभ बहुत जल्दी दिखने लगते हैं। नीली धारण करने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। धन लाभ होने लगता है। साथ ही करियर और व्यापार में आशातीत सफलता मिलती है। किसी व्यक्ति के ऊपर जादू- टोना या भूत प्रेत का चक्कर हो तो भी नीली उपरत्न धारण करने से लाभ होता है।

इन लोगों को करता सूट

ज्योतिष शास्त्र अनुसार वृष राशि, मिथुन राशि, कन्या राशि, तुला राशि, मकर राशि और कुंभ राशियों को नीली पहनने की सलाह दी जाती है। वहीं अगर अगर शनि केंद्र के स्वामी हैं तो भी नीली पहन सकते हैं। साथ ही अगर शनि देव सकारात्मक (उच्च) के कुंडली में विराजमान हैं, तो भी नीली धारण कर सकते हैं। लेकिन वो राशियां जिनकी शनिदेव से शत्रुता है, उन्हें लीलिया धारण करने से मना किया जाता है। जैसे मेष, वृश्चिक, कर्क, सिंह राशि वालों को नीली धारण करने से बचना चाहिए। साथ ही मूंगा के साथ नीली धारण नहीं करेंं। अन्यथा नुकसान हो सकता है।

नीली धारण करने की सही विधि

रत्न शास्त्र अनुसार नीली उपरत्न को कम से कम सवा 7 रत्ती का खरीदना चाहिए। इसके बाद नीली को चांदी या पंचधातु में जड़वाना चाहिए। साथ ही शनिवार के दिन दूध और गंगाजल से शुद्ध करके शनिवार के दिन मध्यमा मतलब बीच वाली उंगली में धारण करना चाहिए। साथ ही धारण करने के बाद शनि ग्रह से संबंधित कुछ दान निकालकर मंदिर के किसी पुजारी को देकर आएं। तब ही अंगूठी धारण करना पूर्ण फल प्राप्त होगा।