Pitra Dosh: हिंदू मान्यताओं और धर्म शास्त्रों में लिखा हुआ है कि पूर्वजों के दोष कर्मों का फल उनके वंशजों को ही भोगना पड़ता है, इसी को हम ऋण कहते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार हमारे जीवन में कई प्रकार के ऋण होते हैं, उनमें से ही एक ऋण है पितृ ऋण, जिसके बारे में आज हम इस लेख में बात करने वाले हैं। आज इस लेख में जानेंगे कि यह ऋण कैसे चढ़ता है और इसके क्या अशुभ परिणाम हो सकते हैं-
पितृ ऋण के कारण परिवार में अशांति, वंशवृद्धि में रुकावट, आकस्मिक बीमारी, संकट, धन में बरकत न होना, सारी सुख-सुविधाएं होते हुए भी मन असंतुष्ट रहना आदि हो सकता है। शास्त्रों के मुताबिक जब मनुष्य पितृ ऋण से पीड़ित होता है तो उसके जीवन काल में तमाम तरह के कष्ट चक्र के रूप में घूमते रहते हैं। इसी कारण माना जाता है कि जीवन इतनी समस्याओं से घिरा हुआ मनुष्य चाहकर भी उनसे बाहर नहीं निकल पाता है। आइए जानते हैं इसके कारण और निवारण…
मनुष्य इन वजहों से पितृ ऋण से पीड़ित होता है-
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर कुंडली में राहु ग्रह अगर केंद्र स्थानों या त्रिकोण में हो और उनकी राशि नीच यानि की नकारात्मक स्थित हों तो पितृ दोष का निर्माण होता है।
- अगर राहु का सम्बन्ध कुंडली में सूर्य और चंद्र ग्रह से हो, तो ऐसी कुंडली में पितृ दोष का निर्माण होता है।
- वहीं अगर कुंडली में राहु का सम्बन्ध शनि या बृहस्पति से हो, तो भी कुंडली में पितृ दोष का निर्माण होता है।
- राहु अगर द्वितीय या अष्टम भाव में हो तो भी ऐसी कुंडली में पितृ दोष का निर्माण होता है।\
कुल पुरोहित का अपमान: हिंदू मान्यताओं के अनुसार हर किसी का अपना एक कुल पुरोहित होता है जो किसी भी शुभ या अशुभ कार्य को कराता हैं। कुल पुरोहित हो होते हैं जो हमारे यहां सभी संस्कारों को संपन्न कराते हैं। शास्त्रों के मुताबिक अगर आपने अपने परिवार के किसी कुल पुरोहित को बदला है या उनको अपमानित किया है या उनका तिरस्कार हुआ है, तो ऐसा करने से आप पितृ ऋण के दोषी बन जाते हैं।
इस तरह से होगी पितृ ऋण की पहचान: पितृ ऋण की पहचान को लेकर शास्त्रों में बताया गया है कि आपके द्वारा पड़ोस के किसी धर्म स्थान पीपल या बरगद के वृक्ष को बर्बाद किया गया है। पितरों का विधिवत अंतिम संस्कार और श्राद्ध न किया गया हो, जिस वजह से पितृ नाराज हो जाते हैं और पितृ फिर आशीर्वाद की जगह श्राप दे देते हैं। इसके अलावा पितरों की विस्मृति या अपमान करना या किसी नाग को मारना या मरवाने से भी यह ऋण चढ़ता है।
पितृ ऋण के बुरे प्रभाव: पितृ ऋण के प्रभावित व्यक्ति के समय से पहले ही बाल सफेद हो जाते हैं। घर परिवार की बरकत समाप्त हो जाती है। बनते हुए काम बिगड़ने लगते हैं। सुख की जगह जीवन में दुख व निराशा बनी रहती है। यह इसके बुरे परिणाम मनुष्य के सामने आते हैं।