Varad Ganesh Chaturthi 2023: हिंदू पंचांग में गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। हर मास की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी होती है। जहां कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जानते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार,आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखने वाले व्रत को विनायक या वरद चतुर्थी के नाम से जानते हैं। इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने का विधान है। आश्विन मास की चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन नवरात्रि का चौथा दिन भी पड़ रहा है। जानें वरद चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र।
शास्त्रों के अनुसार, वरद चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से व्यक्ति को हर तरह के दुखों से निजात मिल जाती है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्राप्ति होती है।
वरद चतुर्थी 2022 शुभ मुहूर्त
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ- 18 अक्टूबर 2023 को सुबह 1 बजकर 26 मिनट से शुरू
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त- 19 अक्टूबर को सुबह 1 बजकर 12 मिनट तक
अनुराधा नक्षत्र- सूर्योदय से लेकर रात 9 बजे तक
अमृतसिद्धि योग- सुबह 6 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 6 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजे तक
राहुकाल- दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से 1 बजकर 37 मिनट तक
चंद्रोदय का समय- सुबह 9 बजकर 34 मिनट को
चन्द्रास्त का समय- रात 8 बजकर 24 मिनट तक
आश्विन वरद चतुर्थी 2023 पूजा विधि
चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके साथ ही लाल या फिर पीले रंग के वस्त्र धारण कर लें। अब पूजा स्थल पर एक लकड़ी की चौकी रखें और उसमें पीला या लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर दें। इसके बाद भगवान गणेश की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले भगवान गणेश को पुष्प के माध्यम से जल चढ़ाएं। इसके बाद फूल, माला, दूर्वा चढ़ाने के बाद सिंदूर, अक्षत लगाएं। फिर भोग में कुछ मीठा खिलाएं। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर गणेश जी के मंत्र, चालीसा और मंत्रों का जाप करें। अंत में आरती कर लें और फिर भूल चूक के लिए माफी मांग लें। पूरे दिन फलाहारी व्रत रखें और फिर दूसरे दिन सूर्योदय के बाद व्रत खोल लें।
श्री गणेश मंत्र
- वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।
- ॐ गं गणपतये नम:
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