ज्येष्ठ के बाद आषाढ़ का महीना आता है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार वर्ष का चौथा महीना है। इस महीने शिव और विष्णु की पूजा करना बहुत शुभ होता है। इसी महीने में बरसात का मौसम भी शुरू हो जाता है। हिंदू धर्म में इस महीने का बहुत महत्व माना जाता है। इस महीने का धार्मिक महत्व भी है। आपको बता दें की आषाढ़ में ही देवशयनी एकादशी आती है। इस एकादशी के बाद भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। मान्यता अनुसार आषाढ़ मास में पूजा करना फलदायी होता है, लेकिन कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है। आइए आपको बताते हैं आषाढ़ महीने से जुड़ी कुछ शुभ और अशुभ बातें-

हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ की शुरुआत 15 जून से हो चुकी है और अगले माह जुलाई 13 तक रहेगी। भारत में हर राज्य आषाढ़ मास की शुरुआत अलग-अलग तारीख से होती है। वहीं कर्नाटक में आषाढ़ का महीना 30 जून से शुरू होकर 28 जुलाई को खत्म होगा। आषाढ़ माह कई बड़े व्रत और त्यौहार पड़ते हैं जैसे योगिनी एकादशी, प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि, हलहारिणी अमावस्या, आषाढ़ अमावस्या, गुप्त नवरात्रि जगन्नाथ रथ यात्रा आदि।

इन कार्यों को करने से मिलते हैं अशुभ फल!

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इस तरह चातुर्मास शुरू हो जाता है। इन दिनों विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि सभी शुभ कार्यक्रमों पर रोक लगा दी जाती है क्योंकि इस समय इन कार्यों को करने से अशुभ फल मिलते हैं और जीवन में कठिनाइयां बढ़ने लगती हैं। इस बार देवशयनी एकादशी 10 जुलाई को पड़ रही है, जो 4 नवंबर को समाप्त होगी।

चातुर्मास में विवाह संस्कार, नामकरण, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ आदि सभी मंगल कार्य वर्जित माने गए हैं। मान्यता हु की चतुर्मास में लोगों को किसी से भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। कहा जाता है की मनुष्य किसी भी प्रकार के व्रत को शुरू कर सकते हैं और जो इस समय व्रत प्रारंभ करते है उन्हें दोगुना फल प्राप्त होता है।

मान्यता है कि इस व्रत में दूध, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन का त्याग कर देना चाहिए। साथ ही इस व्रत में सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाता है। भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए बेड की जगह जमीन पर सोना चाहिए, मान्यता है कि ऐसा करने से प्रसन्न होते हैं।

चतुर्मास हर तरह के शुभ कार्यों के लिए तो वर्जित होता है लेकिन धार्मिक कार्य पूजा-पाठ के लिए व्रत आदि करने के लिए सबसे उत्तम माना जाता हैं। इस दौरान प्रतिदिन तुलसी पूजा करने से दरिद्रता खत्म होती है। इसके अलावा आषाढ़ मास में जन्म लेने वाले लोग बहुत मिलनसार माने जाते हैं। कला के क्षेत्र में उनकी विशेष रुचि होती है। इसके साथ ही यह लोग व्यवसायी प्रवृत्ति के होते हैं। ऐसे लोग उन्हें गुस्सा बहुत आता है, लेकिन एक बार जब गुस्सा शांत हो जाता है तो वे बहुत पछताते भी हैं।