केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हाल में ही अपने रिटायरमेंट प्लान के बारे में बताया था। जिसमें उन्होंने कहा कि अब वेद, उपनिषद का अध्ययन करने के साथ प्राकृतिक खेती करेंगे। अमित शाह ने अपने रिटायरमेंट के बारे में तो अभी से ही प्लान कर लिया है कि वह धार्मिक ग्रंथ पढ़ने वाले हैं। आप भी खूब वेद, उपनिषद बोलते होंगे। लेकिन आप क्या जानते हैं कि वेद और उपनिषद कितने प्रकार के होते हैं और इनकी रचना किसने की थी। इसके साथ ही इन सभी में से कौन सा श्रेष्ठ माना जाता है। आइए जानते हैं वेद-उपनिषद कितने होते हैं…
कितने प्रकार के होते हैं वेद और उपनिषद?
बता दें कि वेद 4 प्रकार के होते हैं और उपनिषद 108 माने गए हैं, लेकिन इनमें से 11 से 13 उपनिषद को ही प्रमुख माना जाता है, जिन्हें शंकराचार्य जैसे दार्शनिकों ने लिखा है।
वेद के प्रकार
1-ऋग्वेद (Rigveda)
इस ग्रंथ को सबसे प्राचीन वेद है। सम्पूर्ण ऋग्वेद में 10 मंडल, 1028 सूक्त और सूक्त में 11 हजार मंत्र है। इस वेद में देवताओं की स्तुति, प्रार्थनाएं और यज्ञों के मंत्र के बारे में बताया गया है। बता दें कि इस वेद से अन्य तीन वेद यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की उत्पत्ति हुई है। इसी वेद में 33 कोटि देवी-देवताओं का उल्लेख है।
यजुर्वेद (Yajurveda)
यजुर्वेद की 101 शाखाएं बताई गई हैं, किंतु मुख्य दो शाखाएं ही अधिक प्रसिद्ध है, जो है कृष्ण यजुर्वेद और शुक्ल यजुर्वेद। यह यज्ञों और अनुष्ठानों की विधियों पर आधारित है। इसमें कर्मकांड और आचार-विधान की प्रमुखता है। इसके अलावा इस वेद में आर्यों के सामाजिक और धार्मिक जीवन में भी प्रकाश डाला है।
सामवेद (Samaveda)
तीसरा वेद सामवेद है। संपूर्ण सामवेद में कुल 1875 संगीतमय मंत्र हैं, जिसमें से 1504 मंत्र ऋग्वेद से लिए गए हैं। इसमें संगीत के रूप में वेद मंत्रों का संकलन है। यज्ञों में गान हेतु उपयोग होता है।
अथर्ववेद (Atharvaveda)
चौथा वेद अथर्ववेद है, जिसे ब्रह्मवेद भी कहा जाता है। इस वेद में देवताओ की स्तुति, चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन के भी मंत्र हैं। इस वेद में 20 काण्ड, 730 सूक्त और 6000 मंत्र है। इसमें से लगभग 1200 मंत्र ऋग्वेद से लिए गए हैं। इस वेद में घरेलू उपचार, तंत्र-मंत्र, रोग निवारण, सामाजिक नियम, और जीवन के व्यवहारिक पक्षों का उल्लेख है।
उपनिषद कितने हैं? (Upanishads)
प्राचीन काल में 108 उपनिषद माने गए हैं, लेकिन इनमें से करीब 13 उपनिषद प्रमुख माने जाते हैं। उपनिषद का शब्द का अर्थ है- ज्ञान के समीप बैठना यानी गुरु के पास बैठकर आत्मा-ब्रह्म का ज्ञान प्राप्त करना। ये वेदांत का हिस्सा हैं और आत्मा, ब्रह्म, मोक्ष, अद्वैत जैसे विषयों को विस्तार से समझाते हैं।
- ईशोपनिषद
- केन उपनिषद
- कठ उपनिषद
- प्रश्न उपनिषद
- मुण्डक उपनिषद
- माण्डूक्य उपनिषद
- तैत्तिरीय उपनिषद
- ऐतरेय उपनिषद
- छांदोग्य उपनिषद
- बृहदारण्यक उपनिषद
- श्वेताश्वतर उपनिषद
- कौषीतकि उपनिषद
- मैत्रायणी उपनिषद
वेद-उपनिषद में कौन है ज्यादा श्रेष्ठ?
वेद-उपनिषद में कौन श्रेष्ठ है ये कहना काफी मुश्किल है। भगवद गीता के अध्याय 15 और श्लोक 15 में कहा गया है ‘वेदैश्च सर्वैरहमेव वेद्यः’ यानी सभी वेदों का सार है भगवान की पहचान और यह सार उपनिषदों में मिलता है। वहीं शंकराचार्य कहते है कि कर्म से चित्त शुद्ध होता है, लेकिन मोक्ष केवल ज्ञान से ही संभव है।
ये कहा जाता है कि अगर वेद शरीर हैं तो उपनिषद आत्मा है। दोनों एक दूसरे पूरक है। अगर आपको आत्म ज्ञान की तलाश है, तो आपके लिए उपनिषद बेस्ट हो सकते हैं और अगर आप यज्ञ, कर्म, और सामाजिक जीवन में रुचि रखते हैं, तो वेद आपका अच्छे से मार्गदर्शक कर सकता है।
वेद-उपनिषद पढ़ने के लाभ
- कहा जाता है कि वेदों का अध्ययन करने से आत्मा और परमात्मा के स्वरूप को अच्छे से जानने में मदद मिलती है।
- इनका अध्ययन करके जातक धर्म, सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाता है।
- मंत्रों का जाप करके मन, तन शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
- वेद पढ़ने से दिमाग संतुलित रहता है। तनाव, भम्र आदि से मुक्ति मिलती रहै।
- वेदों का अध्ययन करने से शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन बनता है।
- वेद का अध्ययन करने से जीवन के चार पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) को संतुलित करने में मदद मिलती है।
- वेदों में आयुर्वेद, गणित, खगोलशास्त्र, धातु विज्ञान, वास्तु आदि का मूल रूप छिपा है।
- उपनिषद का अध्ययन करने से आत्मा और ब्रह्म का रहस्य अच्छे से समझ पाने में सफल हो सकते हैं
- उपनिषद आपके मोक्ष का मार्ग खोल सकता है।
- उपनिषद जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पाने की प्रेरणा देते हैं।
- उपनिषद का पाठ करने से व्यक्ति सही-गलत का निर्णय बेहतर कर पाता है।
- उपनिषद सिखाते हैं कि स्थायी सुख बाह्य वस्तुओं में नहीं, आत्मा की पहचान में है।
- आत्मा के अमरत्व का ज्ञान व्यक्ति को मृत्यु और दुःख से निर्भय बनाता है।
टैरो राशिफल के अनुसार, जुलाई माह के तीसरे सप्ताह के साथ सावन माह आरंभ हो रहा है। इस सप्ताह के आरंभ में ही शनि मीन राशि में वक्री होंगे। इसके साथ ही सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे बुध के साथ युति करके बुधादित्य योग का निर्माण करेंगे। इसके अलावा इस सप्ताह गुरु आदित्य, धन शक्ति, गजकेसरी , महालक्ष्मी सहित कई राजयोगों का निर्माण करने वाले हैं। टैरो गुरु मधु कोटिया के अनुसार, टैरो के मुताबिक ये सप्ताह कुछ राशियों का खास हो सकता है। जानें साप्ताहिक टैरो राशिफल