Amarnath Yatra 2020: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू (G C Murmu) ने कहा कि आगामी अमरनाथ यात्रा का फैलसा राज्य में कोरोना वायरस (Coronavirus) की स्थिति की समीक्षा करने के बाद ही लिया जायेगा। इस साल अमरनाथ यात्रा 23 जून से तय की गई है। हालांकि पहले कोरोना वायरस महामारी के चलते अमरनाथ यात्रा को रद्द कर दिया गया था लेकिन मुर्मू ने कहा कि सरकार यात्राओं के लिए आवश्यक सभी संभावित साधनों की खोज करेगी। जानिए अमरनाथ गुफा से जुड़ी खास बातें…
बर्फ से बनता है 10-12 फीट ऊंचा शिवलिंग: अमरनाथ गुफा का इतिहास हजारों साल पुराना माना जाता है। यहां बर्फ से 10-12 फीट ऊंचे भव्य शिविलिंग का खुद निर्माण होता है। इस शिवलिंग की ऊंचाई चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ घटती-बढ़ती रहती है और पूर्णिमा के दिन ये अपने पूरे आकार में होता है।
150 फीट ऊंची है अमरनाथ गुफा: ये गुफा श्रीनगर से करीब 145 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जिसकी ऊंचाई 150 फीट और लंबाई 90 फीट की है। माना जाता है कि इस पवित्र गुफा के अंदर ही भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। गुफा में शिवलिंग के साथ ही श्रीगणेश, माता पार्वती और भैरव के हिमखंड भी निर्मित होते हैं।
काफी पुराना है इसका इतिहास: इस गुफा की खोज सबसे पहले किसने की इस बारे में कोई सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन मान्यता है कि बहुत समय पहले एक चरवाहे को कोई संत दिखाई दिये थे जिन्होंने चरवाहे को कोयले से भरी पोटली दी थी। जब ये चरवाहा अपने घर पहुंचा तो ये कोयले सोने में बदल गये थे। यह देखकर चरवाहा आश्चर्यचकित हो गया और संत की खोज में पुन: उसी स्थान पर निकल पड़ा। संत की खोज में निकला चरवाहा अमरनाथ की गुफा तक डा पहुंचा। माना जाता है कि जब वहां के लोगों ने चरवाहे से इस चमत्कार के बारे में सुना तो लोग इस गुफा को दैवीय स्थान मानने लगे।
यहां भगवान शिव ने सुनाई थी अमरत्व की कथा: मान्यता है कि प्राचीन समय में इसी गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। जिस रहस्य को माता पार्वती के साथ कबूतरों के जोड़े ने भी सुन लिया था। गुफा में आज भी कुछ श्रद्धालुओं को कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई देता है, जिन्हें अमर पक्षी माना जाता है। भगवान शिव जब पार्वती को अमर कथा सुनाने ले जा रहे थे, तो उन्होंने छोटे-छोटे अनंत नागों को अनंतनाग में छोड़ा, माथे के चंदन को चंदनबाड़ी में उतारा, अन्य पिस्सुओं को पिस्सू टॉप पर और गले के शेषनाग को शेषनाग नामक स्थल पर छोड़ा था। ये सभी स्थान अभी भी अमरनाथ यात्रा के दौरान रास्ते में दिखाई देते हैं।