Amalaki Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का खास महत्व होता है। बता दें कि प्रत्येक महीने में एकादशी दो बार आती है, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। कहा जाता है कि एकादशी तिथि पर व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है। वहीं, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन आंवले के वृक्ष में स्वयं विष्णु जी का वास होता है, इसलिए आंवले के पेड़ की पूजा करना बेहद शुभ माना गया है। ऐसे में आइए जानते हैं इस दिन के महत्व, मंत्र और पूजा विधि के बारे में।
कब है आमलकी एकादशी 2025?
पंचांग के अनुसार, इस साल आमलकी एकादशी 10 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। खास बात यह है कि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो सुबह 6:36 बजे से रात 12:51 बजे तक रहेगा। ऐसे में ज्योतिष के अनुसार, इस शुभ योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में शुभ फल मिलते हैं और सारी परेशानियां दूर होती हैं।
क्यों खास है आमलकी एकादशी?
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु के मुख से एक बिंदु पृथ्वी पर गिरा था, जिससे आंवले का वृक्ष उत्पन्न हुआ। इसी कारण इसे आमलकी एकादशी कहा जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और साधक को विशेष आशीर्वाद देते हैं।
आमलकी एकादशी की पूजा विधि
आमलकी एकादशी के दिन सुबह के समय स्नान करके व्रत का संकल्प लें। उसके बाद पीले रंग के कपड़े पहनें और घर में गंगाजल का छिड़काव करें। अब पूजा के लिए सभी सामग्रियों को एकत्रित करें। इसके बाद एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी और चंदन अर्पित करें। उसके बाद दीप जलाकर आमलकी एकादशी व्रत कथा पढ़ें। फिर भगवान विष्णु की आरती करें और आंवले के वृक्ष की पूजा करें। अगले दिन द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण करें। इस विधि-विधान से पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न हो सकते हैं।
आमलकी एकादशी महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जो व्यक्ति सच्चे मन से आमलकी एकादशी का व्रत करता है, उसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत से जीवन में धन, समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है। साथ ही, यह व्रत पितृ दोष निवारण के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है।
आमलकी एकादशी पर करें इन मंत्रों का जाप
भगवान विष्णु का बीज मंत्र
ॐ विष्णवे नम: ॐ हूं विष्णवे नम: ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
भगवान विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात:
भगवान विष्णु का स्तुति मंत्र
शांताकारं भुजगशयनं, पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगनसदृशं, मेघवर्णं शुभाङ्गम्।लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं, योगिभिर्ध्यानगम्यम्, वन्दे विष्णुं भवभयहरं, सर्वलोकैकनाथम्।।
भगवान विष्णु का शक्तिशाली मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
यह भी पढ़ें…
डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
यह भी पढ़ें…
डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।