हिंदू धर्म में एकादशी का काफी महत्व हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। एकादशी के दिन पूरी श्रद्धा भाव के साथ भगवान विष्णु की पूजा और उपवास रखने वाले लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी मनाई जाती है। इस दिन आंवले की पूजा की जाती है। आंवले को लेकर मान्यता है कि यह भगवान विष्णु का प्रिय फल है। इस साल आमलकी एकादशी 25 मार्च को मनाई जाएगी।

ज्योतिषाचार्यों की मानें तो आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। भगवान विष्णु ने आंवले को वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया था। मान्यता है कि आंवले के वृक्ष के हर हिस्से में भगवान विष्णु विराजमान हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार आमलकी एकादशी के दिन आंवले और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

आमलकी एकादशी के दिन आंवले की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। साथ ही परिवार में भी सुख और प्रेम का वातावरण बना रहता है। हालांकि, इस दिन जो लोग उपवास नहीं रखते वे भी विष्णु को आंवले का भोग लगाकर खुद प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष का रोपण करना शुभ माना जाता है।

अमालकी एकादशी का शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि 24 मार्च बुधवार सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी।
25 मार्च, गुरुवार को सुबह 9 बजकर 47 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन होगा।
व्रत पारण का समय 26 मार्च शुक्रवार सुबह 6 बजकर 18 मिनट पर।

पूजा विधि: आमलकी एकादशी के दिन सुबह उठकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए। जिसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। साथ ही आंवले के फल को प्रसाद के रूप में भगवान विष्णु पर अर्पित करना चाहिए। साथ ही आंवले के वृक्ष की पूजा करना विशेष फलदायी होता है। इसके लिए वृक्ष की चंदन, रोली, धूप, दीप, फूल और अक्षत से पूजा करनी चाहिए। बाद में ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। अगले दिन सुबह उठकर स्नान कर भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। फिर ब्राह्मण को कलश, वस्त्र और आंवला आदि का दान करके व्रत खोलना चाहिए।