Ahoi Ashtami Aarti: माताएं अपने बच्चों की लंबी आयु के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं। करवा चौथ के चार दिन बाद अहोई अष्टमी मनाई जाती है। इस बार 28 अक्टूबर को यह व्रत रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से लेकर शाम को तारे निकलने तक निर्जला व्रत रखती हैं। शाम के समय ही इस व्रत का पूजन किया जाता है, जिसमें माता की इस आरती को करना बेहद ही जरूरी माना गया है-
जय अहोई माता जय अहोई माता ।
तुमको निसदिन ध्यावत हरी विष्णु धाता ।।
ब्रम्हाणी रुद्राणी कमला तू ही है जग दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता ।।
तू ही है पाताल बसंती तू ही है सुख दाता ।
कर्म प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता ।।
जिस घर थारो वास वही में गुण आता ।
कर न सके सोई कर ले मन नहीं घबराता ।।
तुम बिन सुख न होवे पुत्र न कोई पता ।
खान पान का वैभव तुम बिन नहीं आता ।।
शुभ गुण सुन्दर युक्ता क्षीर निधि जाता ।
रतन चतुर्दश तोंकू कोई नहीं पाता ।।
श्री अहोई मां की आरती जो कोई गाता ।
उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता ।।
शुभ मुहूर्त:
पूजा का शुभ मुहूर्त- 05:39 PM से 06:56 PM
अवधि- 01 घण्टा 17 मिनट
गोवर्धन राधा कुण्ड स्नान गुरुवार, अक्टूबर 28, 2021 को
तारों को देखने के लिए सांझ का समय- 06:03 PM
अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय-11:29 PM
पूजा विधि: अहोई अष्टमी के दिन सूर्यास्त के बाद जब तारे निकल जाते हैं तो अहाई माता की पूजा आरंभ करनी चाहिए। इसके लिए जमीन को साफ करके पूजा की चौकी लगाएं। फिर इस पर एक लोटे में जल भरकर उसे कलश की तरह ही चौकी की एक कोने पर रखें और माता अहोई की पूजा करें। आप चाहें तो पूजा के लिए चांदी की अहोई माता (स्याहु) भी बनवा सकती हैं। फिर श्रद्धा-भाव से माता की पूजा करें। बाद में तारे को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।