हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने बच्चों की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और आरोग्य जीवन के लिए निर्जल उपवास करती हैं। अहोई अष्टमी के दिन माता पार्वती के अहोई स्वरूप की पूजा की जाती है। संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत खास महत्व रखता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अहोई अष्टमी के दिन संतान प्राप्ति के लिए यह खास उपाय करने से आपकी मनोकामना पूर्ण हो सकती है।
संतान प्राप्ति के लिए खास उपाय: नि:संतान दंपत्ति को अहोई अष्टमी के दिन गणेश जी को बेलपत्र अर्पित करना चाहिए। साथ ही ‘ओम पार्वतीप्रियनंदनाय नम:’ मंत्र का 11 माला जाप करें। मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन से लगातार 45 दिनों तक यह उपाय अपनाने से आपको संतान की प्राप्ति हो सकती है।
अहोई अष्टमी के नियम: अहोई अष्टमी के दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन घर में तामसिक चीजों का सेवन करने से व्रत निष्फल हो जाता है। इस दिन महिलाएं रात के दौरान तारों का अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं। इस दिन पूजा के बाद ब्राह्मण या जरूरतमंदों को दान देने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। व्रत के दौरान दोपहर में सोना वर्जित माना गया है।
व्रत कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार दिवाली के मौके पर घर को लीपने के लिए एक साहुकार की सात बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गई तो उनकी ननद भी उनके साथ चली आई। साहुकार की बेटी जिस जगह मिट्टी खोद रही थी। उसी जगह स्याहु अपने बच्चों के साथ रहती थी। मिट्टी खोदते वक्त लड़की की खुरपी से स्याहू का एक बच्चा मर गया। इसलिए जब भी साहुकार की बेटी को बच्चे होते थे, वो सात दिन के भीतर मर जाते थे।
इसी तरह एक-एक कर उसके सात बच्चों की मौत हो गई। लड़की ने जब पंडित को बुलाया और इसका कारण पूछा तो उसे पता चला कि अनजाने में उससे जो पाप हुआ, उसका ये नतीजा है। पंडित ने लड़की से अहोई माता की पूजा करने को कहा, इसके बाद कार्तिक कृष्ण की अष्टमी तिथि के दिन उसने माता का व्रत रखा और पूजा की। बाद में माता अहोई ने सभी मृत संतानों को जीवित कर दिया। इस तरह से संतान की लंबी आयु और प्राप्ति के लिए इस व्रत को किया जाने लगा।