Ahoi Ashtami 2019 Puja Vidhi, Muhurat, Time, Samagri, Mantra: करवा चौथ की पूजा के चौथे दिन और दिवाली से ठीक आठ दिन पहले कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि के दिन महिलाएं एक और खास व्रत रखती हैं। इस पर्व को अहाई अष्टमी कहा जाता है। इसमें माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए ये व्रत रखती हैं। इस दिन माता पार्वती के अहोई स्वरूप की पूजा होती है। पुत्र के लिए रखे जाने वाले इस व्रत में भी पूरे दिन व्रत रखने के बाद रात में पूजा होती है, लेकिन इसमें चांद देख कर नहीं बल्कि तारों को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त किया जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत या पर्व का पौराणिक महत्व, पूजा मुहूर्त और पूजा विधि…

Ahoi Ashtami 2019: Puja Vidhi, Muhurat Timings, Samagri, Mantra, Aarti

क्या है इस दिन का पौराणिक महत्व (Ahoi Ashtami Puja: Importance & Significance)

अहोई अष्टमी का त्योहार और व्रत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी को रखा जाता है। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में अहोई माता की आराधना से संतान का जीवन सुखमय बीतता है। कहते हैं कि इस संसार में आदर्श मां के रूप में मां पार्वती और यशोदा को पूजा जाता है। इसकी वजह है उन दोनों का समर्पण, दोनों ने ही अपनी कोख से न तो गणेश को जन्म दिया और न ही कृष्ण को। इसके बावजूद जिस समर्पण की भावना से इन दोनों ने संतानों का पालन किया वह आदर्श उदाहरण है। अहोई अष्टमी का व्रत भी इसी समर्पण की भावना के उदाहरण स्वरूप होता है। इसमें मां पार्वती की पूजा की जाती है।

क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त: (Ahoi Ashtami Puja Muhurt)

तिथि: कार्तिक मास कृष्ण पक्ष अष्टमी
तिथि प्रारंभ: 21 अक्टूबर सुबह 11.09 बजे से
तिथि समाप्त: 22 अक्टूबर सुबह 09.10 बजे तक
पूजा के समय: सोमवार को माताएं शाम 05.42 मिनट से 06.59 मिनट तक पूजा कर सकती हैं।

अहोई की कथा (Ahoi Ashtami Vrat Katha) :

प्राचीन काल में एक साहूकार था, जिसके सात बेटे और सात बहुएं थी। इस साहूकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी। दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गई तो ननद भी उनके साथ चली गई। साहूकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी, उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने साथ बेटों से साथ रहती थी। मिट्टी काटते हुए गलती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से स्याहु का एक बच्चा मर गया। इस पर क्रोधित होकर स्याहु बोली- मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी।

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15:46 (IST)21 Oct 2019
आज रात इतने बजे निकलेगा चांद...

अहोई अष्टमी व्रत में कुछ लोग तारों को देखकर व्रत खोलते हैं तो कुछ चांद को देखकर। इस दिन चंद्रोदय भी काफी देर से होता है। आज चांद निकलने का समय  रात 11:47 पी एम का है।

14:44 (IST)21 Oct 2019
अहोई पूजा विधि :

– सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। – अब घर के मंदिर की दीवार पर गेरू और चावल से अहोई माता यानी मां पार्वती और स्याहु व उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं। – पूजा के लिए आप चाहें तो बाजार में मिलने वाले पोस्टर का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। – अब एक नया मटका लें उसमें पानी भरकर रखें और उस पर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं, अब मटके के ढक्कन पर सिंघाड़े रखें। अहोई की पूरी पूजा विधि जानिए यहां

13:57 (IST)21 Oct 2019
अहोई के दिन यह भी है प्रथा...

अहोई के दिन कुछ लोग एक धागे में अहोई व दोनों चांदी के कुछ दाने डालते हैं। फिर हर साल इसमें दाने जोड़े जाने की भी परंपरा है। इसके अलावा पूजन के लिए घर की उत्तर दिशा में जमीन पर गोबर और चिकनी मिट्टी से लीपकर कलश स्थापना करते हैं। तत्पश्चात प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश की पूजा के बाद अहोई माता की पूजा और उन्हें दूध, शक्कर और चावल का भोग भी लगाते हैं। फिर एक लकड़ी के पाटे पर जल से भरा कलश स्थापित करके अहोई की कथा सुनी-सुनाई जाती है।

13:16 (IST)21 Oct 2019
अहोई अष्टमी की मान्यताएं...

अहोई माता और शिव जी को दूध भात का भोग लगाएं। चांदी की नौ मोतियां लेकर लाल धागे में पिरो कर माला बना लें। फिर अहोई माता को वो माला अर्पित करें और संतान प्राप्ति और उसके सुखी जीवन की प्रार्थना करें। पूजा के उपरान्त अपनी संतान और उसके जीवन साथी को दूध भात खिलाएं

12:45 (IST)21 Oct 2019
Ahoi Ashtami Vrat Muhurat :

अहोई अष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 21 अक्‍टूबर को सुबह 06 बजकर 44 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त: 22 नवंबर को सुबह 05 बजकर 25 मिनट तक।
पूजा का मुहूर्त: 21 अक्‍टूबर को शाम 05 बजकर 42 मिनट से शाम 06 बजकर 59 मिनट तक।
कुल अवधि: 1 घंटे 17 मिनट.
तारों को देखने का समय: शाम 06 बजकर 10 मिनट।
चंद्रोदय का समय: 21 अक्‍टूबर 2019 को रात 11 बजकर 46 मिनट तक।

11:06 (IST)21 Oct 2019
अहोई अष्टमी के दिन इस विशेष तरीके से भी की जाती है पूजा:

पुरानी मान्यताओं के अनुसार, अहोई पूजन के लिए शाम के समय घर की उत्तर दिशा की दीवार पर गेरू या पीली मिट्टी से आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। विधि पूर्वक स्नानादि के बाद, तिलक आदि के बाद खाने का भोग लगाया जाता है। कुछ लोग अपनी सामर्थ्य के अनुसार, चांदी की अहोई में मोती डालकर विशेष पूजा करते हैं।

10:27 (IST)21 Oct 2019
अहोई अष्टमी का महत्व:

इस दिन महिलाएं अहोई माता की पूजा अर्चना करती हैं और पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर बच्चों की लंबी और स्वस्थ आयु की कामना करती हैं। शाम को अहोई माता की आकृति गेरु और लाल रंग से दीवार पर बनाकर उनकी पूजा अर्चना और भोग लगाकर श्रद्धा भाव से तारों का पूजन किया जाता है। पूजा सामग्री में एक चांदी की अहोई माता, चांदी के मोती, रोली, चावल, पुष्प और धूप जरुरी होती है।

09:56 (IST)21 Oct 2019
अहोई अष्टमी व्रत का महत्व और विधि :

अहोई अष्टमी के दिन माताएँ अपने पुत्रों की भलाई के लिए भोर से लेकर गोधूलि बेला यानी साँझ तक उपवास करती हैं। साँझ के दौरान आकाश में तारों को देखने के बाद व्रत तोड़ा जाता है। कुछ महिलाएँ चन्द्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत को तोड़ती है अहोई अष्टमी के दिन रात में चन्द्रोदय देर से होता है। करवा चौथ के समान अहोई अष्टमी उत्तर भारत में ज्यादा प्रसिद्ध है। अहोई अष्टमी का दिन अहोई आठें के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह व्रत अष्टमी तिथि, जो कि माह का आठवाँ दिन होता है, के दौरान किया जाता है। इस व्रत को आकाश में तारों को देखने के बाद ही उपवास को तोड़ा जाता है।

09:17 (IST)21 Oct 2019
अहोई अष्टमी पूजा विधि (Ahoi Puja Vidhi) :

इस दिन महिलाएं शाम को दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाती हैं और उसके आसपास सेई व सेई के बच्चे भी बनाती हैं। कुछ लोग बाजार से भी अहोई चित्र खरीदकर उसकी पूजा करते हैं। कुछ महिलाएं पूजा के लिए चांदी की एक अहोई भी बनाती हैं, जिसे स्याऊ कहते हैं और उसमें चांदी के दो मोती डालकर विशेष पूजन किया जाता है। तारे निकलने के बाद अहोई माता की पूजा शुरू होती है। पूजन से पहले जमीन को साफ करके, पूजा का चौक पूरकर, एक लोटे में जल भरकर उसे कलश की तरह चौकी के एक कोने पर रखते हैं और फिर पूजा करते हैं। इसके बाद अहोई अष्टमी व्रत की कथा सुनी जाती है।

08:32 (IST)21 Oct 2019
अहोई व्रत वाले दिन क्या करें?

अहोई अष्टमी के दिन यथाशक्तिनुसार, गरीबों को दान दें या भोजन कराएं। पुरानी मान्यताओं के अनुसार, अहोई पूजन के लिए शाम के समय घर की उत्तर दिशा की दीवार पर गेरू या पीली मिट्टी से आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। उसी के निकट सेह तथा उसके बच्चों की आकृतियां बनाई जाती हैं और विधि पूर्वक स्नान, तिलक आदि के बाद खाने का भोग लगाया जाता है।

07:51 (IST)21 Oct 2019
कब रखा जाता है अहोई व्रत

अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर अपने संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं। जिन लोगों को संतान नहीं हो पा रही हो उनके लिए ये व्रत विशेष है। इस दिन विशेष उपाय करने से संतान की उन्नति और कल्याण भी होता है।

07:29 (IST)21 Oct 2019
क्यों किया जाता है व्रत?

ऐसी मान्यता है कि अहोई अष्टमी का व्रत करने से अहोई माता खुश होकर व्रत करने वाली महिला के बच्चों की लंबी उम्र और सलामती का आशीर्वाद देती है। इसके साथ ही कुछ महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए भी ये व्रत करती हैं। माता पार्वती की पूजा होने से कुछ महिलाएं अखंड सुहाग की कामना से भी अहोई अष्टमी का व्रत करती हैं।

06:32 (IST)21 Oct 2019
Ahoi Ashtami Vrat Vidhi, Puja Muhurt, Vrat Katha in Hindi

अहोई अष्टमी में गरीबों को दान देने की मान्यता है। आपका जितना सामर्थ्य हो, गरीबों को भोजन कराएं। मान्यता है कि अहोई पूजन के लिए शाम को उत्तर दिशा की दीवार पर गेरू या पीली मिट्टी से आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। उसी के निकट सेह तथा उसके बच्चों की आकृतियां बनाई जाती हैं और विधि पूर्वक स्नान, तिलक आदि के बाद खाने का भोग लगाया जाता है। इस व्रत में तारों को अर्घ्य देकर ही व्रत तोड़ा जाता है।

21:43 (IST)20 Oct 2019
अहोई अष्टमी पर मां पार्वती की ऐसे करें पूजा (Ahoi Ashtami: Puja Vidhi, Muhurt)

अहोई अष्टमी पर मां पार्वती की पूजा होती है। इसके लिए आप गाय के घी में हल्दी मिलाकर दीपक तैयार करें। इसके अलावा चंदन की धूप, रोली, हल्दी और केसर इत्यादि अर्पित करें। मां पार्वती को अहोई अष्टमी पर चावल की खीर का प्रसाद भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। पूजन के बाद भोग किसी गरीब कन्या को दान देने से पुण्य मिलता है। मान्यता है कि इस दिन मां गौरी को पीले कनेर और पीला वस्त्र चढ़ाने से मां पार्वती प्रसन्न होती हैं।

21:05 (IST)20 Oct 2019
अहोई अष्टमी में भी निर्जला व्रत रखती हैं महिलाएं

करवा चौथ की तरह अहोई अष्टमी का व्रत माताएं निर्जला रखती हैं। अंतर सिर्फ ये है कि करवा चौथ में महिलाएं अपने सुहाग की सलामती के लिए निर्जला व्रत रखती हैं जबकि अहोई अष्टमी में महिलाएं अपनी संतानों की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए विधि विधान से मां पार्वती की पूजा करती हैं।

21:03 (IST)20 Oct 2019
अहोई अष्टमी के लिए मंत्र: (Ahoi Ashtami Mantra)

अहोई अष्टमी को मां पार्वती की पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन माँ पार्वती के इस मंत्र का 108 बार जाप करना मंगलकारी माना गया है।
- "ॐ ह्रीं उमाये नमः"