उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद इन्वेस्टमेंट पर पूरा फोकस है। यूपी में इन्वेस्टमेंट को लेकर योगी सरकार कोई खिलवाड़ नहीं करना चाहती है। इस बीच एक शिकायत आई, जिसका योगी सरकार ने संज्ञान लिया और कड़ा एक्शन लिया। इन्वेस्ट यूपी के सीईओ की जिम्मेदारी संभाल रहे अभिषेक प्रकाश को सस्पेंड कर दिया गया है। अभिषेक प्रकाश पर सोलर इंडस्ट्री लगाने के लिए आवेदन करने वाले एक बिजनेसमैन से कमीशन मांगने का आरोप है।

इस मामले में बिजनेसमैन से कमीशन मांगने वाले निकांत जैन के खिलाफ गोमती नगर थाने में FIR भी दर्ज कराई गई है और उसे गिरफ्तार भी कर लिया गया है। वहीं अभिषेक प्रकाश को राजस्व परिषद से अटैच कर दिया गया है। यानी वह बिना अनुमति के मुख्यालय नहीं छोड़ सकेंगे। बताया जा रहा है कि पहले अभिषेक प्रकाश को बचाने की कोशिश हो रही थी लेकिन जैसे ही सीएम योगी के सामने मामला आया, तुरंत उन्होंने सस्पेंड करने का आदेश दे दिया। एसटीएफ की रिपोर्ट पर अभिषेक प्रकाश को निलंबित किया गया है।

कौन हैं अभिषेक प्रकाश?

अभिषेक प्रकाश 2006 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और बिहार के रहने वाले हैं। उनका जन्म 1982 में हुआ था। अभिषेक प्रकाश ने आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स डिग्री हासिल की। अभिषेक प्रकाश कभी योगी सरकार में ताकतवर अधिकारी माने जाते थे। वह लखीमपुर खीरी, अलीगढ़, हमीरपुर और लखनऊ जैसे अहम जिलों के DM भी रह चुके हैं। वह उत्तर प्रदेश सरकार में औद्योगिक विकास विभाग के सचिव भी रह चुके हैं।

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विश्वजीत दत्ता ने दर्ज कराई थी शिकायत

इस मामले की शिकायत उद्योगपति विश्वजीत दत्ता ने दर्ज कराई थी। वह SAEL सोलर P6 प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि हैं। उन्होंने इन्वेस्ट यूपी में भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराई थी और आरोप लगाया था कि उनसे सौर ऊर्जा के पुर्जे बनाने के लिए प्लांट स्थापित करने के बदले में रिश्वत मांगी गई।

अभिषेक प्रकाश पर पहले भी लग चुके हैं आरोप

इससे पहले भी अभिषेक प्रकाश की कई बार भूमिका संदिग्ध पाई गई है। लखनऊ के भटगांव में डिफेंस कॉरिडोर के लिए अधिग्रहीत जमीन के मामले में भी उनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। भू अधिग्रहण समिति के चेयरमैन रहते हुए उन्होंने तहसील प्रशासन के साथ मिलकर जमीनों की दरें मनमाने तरीके से तय की। इसकी रिपोर्ट भी उत्तर प्रदेश सरकार को दी गई, जिसमें तत्कालीन डीएम रहे अभिषेक प्रकाश को जिम्मेदार ठहराया गया। वहीं लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के उपाध्यक्ष रहते हुए अभिषेक प्रकाश पर कई बिल्डरों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा है।