उत्तर प्रदेश पुलिस के बर्खास्त सिपाही के लखनऊ स्थित आलीशान आवास का वीडियो इस वक्त सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं तो कई लोग बंगला देखकर हैरान भी हैं। एक यूजर ने सोशल मीडिया पर लिखा- यह कॉस्टेबल का घर है?
बंगले का वीडियो, जिसे ईडी द्वारा कोडीन-आधारित कफ सिरप की तस्करी के नेटवर्क से जुड़े छापों के दौरान साझा किया गया था। एक विशाल बहुमंजिला इमारत है। जिसका अंदर का हिस्सा और बाहरी हिस्सा करीब 40,000 रुपये प्रति माह कमाने वाले एक कांस्टेबल की सामर्थ्य से कहीं ज्यादा प्रतीत होता है। लोगों का कहना है कि 40 हजार रुपये महीने कमाने वाला शख्स इतना आलीशान बंगला कैसे बना सकता है?
उत्तर प्रदेश पुलिस से बर्खास्त आलोक प्रताप सिंह को 2 दिसंबर को राज्य टास्क फोर्स ने अवैध रूप से फेनसिडिल और अन्य कोडीन-आधारित सिरप के भंडारण, हेराफेरी और तस्करी में शामिल एक अंतरराज्यीय नेटवर्क में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था।
जांच में पता चला कि आलोक सिंह की मुलाकात वाराणसी के सरगना शुभम जायसवाल से आज़मगढ़ के विकास सिंह के ज़रिए हुई थी। बताया जाता है कि जायसवाल रांची से शैली ट्रेडर्स नामक एक फर्जी कंपनी के तहत सिरप की तस्करी का एक बड़ा रैकेट चला रहा था, जिसके तहत सिरप पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश भेजा जाता था।
सिंह ने अपने सहयोगी अमित कुमार सिंह के साथ मिलकर इस व्यापार में निवेश किया और कथित तौर पर अपनी आधिकारिक आय से कहीं अधिक मुनाफा कमाया।
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अधिकारियों ने बताया कि सिंह की पहचान और जाली लाइसेंसों का इस्तेमाल करके धनबाद में श्रेयासी मेडिकल एजेंसी और वाराणसी में मां शारदा मेडिकल नाम की फर्जी मेडिकल कंपनियां बनाई गईं। इन कंपनियों ने प्रतिबंधित पदार्थों की अवैध बिक्री को सुविधाजनक बनाने के लिए फर्जी चालान और ई-वे बिल तैयार किए। सिंह ने स्वीकार किया कि उन्होंने और अमित ने 5-5 लाख रुपये का निवेश किया और इस अवैध व्यापार से 20-22 लाख रुपये कमाए।
ईडी ने अपनी वित्तीय जांच का दायरा बढ़ा दिया है, जबकि सिंह के घर की वायरल तस्वीरें कानून प्रवर्तन में भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग को लेकर बहस को हवा दे रही हैं।
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