केंद्र सरकार ने एंटी टेरर एक्ट के तहत जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। केंद्र ने मलिक के संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह कार्रवाई आतंकी संगठनों के साथ संबंधों के आरोप के बाद की गई है। इससे पहले सूत्रों के हवाले से यह भी जानकारी मिली थी कि कई अलगाववादियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कार्रवाई कर सकता है।
‘वायुसेना के जवानों की हत्या का भी आरोप’: केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा ने ने कहा यासीन मलिक के नेतृत्व में संचालित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट घाटी में अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा दे रहा है। यह 1988 से ही अलगाववादी गतिविधियों और हिंसा के मामले में सबसे आगे रहा है। उन्होंने बताया, ‘जेकेएलएफ के खिलाफ राज्य पुलिस ने 37 एफआईआर दर्ज की है। भारतीय वायुसेना के जवानों की हत्या के दो केस सीबीआई ने भी दर्ज किए हैं। एनआईए ने भी एक मामला दर्ज किया था जिसमें जांच चल रही है।’
मुफ्ती ने किया विरोधः केंद्र की इस कार्रवाई पर पीडीपी नेता और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यासीन मलिक ने लंबे समय से राज्य के मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की है। उन्हें प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने भी बातचीत में शामिल किया था। अब उनके संगठन पर प्रतिबंध से क्या हासिल होगा? इससे सिर्फ कश्मीर की फिजाओं में तनाव बढ़ेगा।

जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी नेताओं और उनके संगठनों पर केंद्र सरकार की कार्रवाई जारी है। इसी के तहत शुक्रवार को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (Jammu Kashmir Liberation Front) को बैन कर दिया है। UAPA के सेक्शन तीन के तहत ये बड़ी कार्रवाई की गई है। यह कार्रवाई आतंकी संगठनों के साथ संबंधों के आरोप के बाद की गई है। इससे पहले सूत्रों के हवाले से यह भी जानकारी मिली थी कि कई अलगाववादियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कार्रवाई कर सकता है। शुक्रवार (22 मार्च) को ही ईडी ने घाटी के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के खिलाफ कार्रवाई की थी।
शुक्रवार (22 मार्च) को ही ईडी ने घाटी के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के खिलाफ कार्रवाई की थी। UAPA (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत हाल ही में जमात-ए-इस्लामी को भी प्रतिबंधित किया गया था। राज्य में पुलवामा हमले के बाद से ही सभी संदिग्ध गतिविधियों पर सुरक्षा एजेंसियों ने नजर बना रखी है। इस सिलसिले में ही हाल ही में राज्य के करीब 600 शिक्षकों को ‘प्रतिकूल सूची’ में रख दिया गया था। इन सभी के परिजनों का संदिग्ध तौर पर किसी आतंकी संगठन से संबंध होने की बात कही गई थी।