I love Mohammad Controversy: अलीगढ़ के लोढ़ा क्षेत्र में मंदिरों की दीवारों पर ‘आई लव मोहम्मद’ लिखने का मामला सामने आया है। हिंदुस्तान में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, लोढ़ा क्षेत्र के दो गांवों में स्थित पांच मंदिरों की दीवारों पर यह नारे लिखे गए। घटना सामने आते ही करनी सेना और हिंदूवादी संगठनों ने हंगामा किया और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग शुरू कर दी। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मामले को शांत कराया और दीवारों से लिखावट को साफ करवा दिया।
जानकारी के अनुसार, लोढ़ा क्षेत्र के बुलाकगढ़ी गांव के दो मंदिरों और भगवानपुर के दो मंदिरों की दीवारों पर अराजक तत्वों ने यह हरकत की। शनिवार सुबह जब ग्रामीणों की नजर इस लिखावट पर पड़ी, तो लोगों में भारी आक्रोश फैल गया। फिलहाल पुलिस ने दावा किया है कि मामले की जांच जारी है। पुलिस का कहना है कि,“सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। सभी दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
कानपुर से शुरू हुआ विवाद
इस मामले में विवाद 4 सितंबर को कानपुर के रावतपुर में बारावफात (ईद-ए-मिलाद-उन-नबी) के जुलूस के दौरान शुरू हुआ। यहां पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एक बैनर लगाया था जिस पर लिखा था ‘आई लव मोहम्मद’। हिंदू संगठनों ने इसका पुरजोर विरोध किया और कहा कि बारावफात के जुलूस में यह नई परंपरा शुरू की जा रही है।
पुलिस ने मामले में तुरंत एक्शन लिया और कहा कि सरकारी नियमों के मुताबिक, धार्मिक जुलूस में किसी भी तरह के नए रीति-रिवाज को शामिल नहीं किया जा सकता। इस दौरान हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एक दूसरे पर पोस्टर फाड़ने का आरोप लगाया जिसे लेकर विवाद बढ़ गया।
राजनेताओं के बयानों से गर्म हुआ माहौल
इस मामले में तमाम राजनेताओं के बयान आने और सोशल मीडिया पर हो रही बयानबाजी की वजह से भी मामला गर्म हो गया। AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ‘आई लव मोहम्मद’ कहना कोई अपराध नहीं है। समाजवादी पार्टी के नेताओं ने कहा कि यह अभिव्यक्ति की आजादी का मुद्दा है जबकि भाजपा के नेताओं ने कहा कि पुलिस या कानून व्यवस्था को चुनौती देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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