Lok Sabha Chunav: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सात लोकसभा सीट पर शनिवार को मतदान होगा जिसमें महिलाएं और उनके मुद्दे मुख्य भूमिका निभाने जा रहे हैं। दिल्ली में 6.73 करोड़ महिला मतदाता हैं। भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार पांच सालों में पुरुषों की तुलना में नए मतदाताओं के रूप में पंजीकरण कराने वाली महिलाओं की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में इस बढ़ोतरी ने राजनीतिक दलों को महिला मतदाताओं को लुभाने के उद्देश्य से आम आदमी पार्टी की महिला सम्मान योजना, कांग्रेस की महालक्ष्मी योजना और भारतीय जनता पार्टी के लखपति दीदी कार्यक्रम जैसी पहल शुरू करने के लिए प्रेरित किया है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की ओर से शुरू की गई लक्ष्मी भंडार योजना ने ममता बनर्जी को और ज्यादा बड़ी जीत दिलाई।

दिल्ली की महिलाओं का सबसे बड़ी मुद्दा महंगाई है। महिला किसी भी वर्ग की क्यों न हो उसकी रसोई का पिछले कुछ सालों में बिगड़ा ही है। रसोई गैस के दाम औसतन एक हजार रुपए के आसपास ही बने रहे हैं। दक्षिण दिल्ली के असोला विस्तार में रहने वालीं दयावती देवी कहती हैं कि महंगाई बहुत है। रसोई गैस, सरसों का तेल, चीनी, मसाले आदि बहुत महंगे हैं। रसोई चलाना मुश्किल हो रहा है। दयावती कहती हैं कि उन्हें राशन तो मुफ्त मिल रहा है लेकिन केवल गेहूं या चावल से ही घर नहीं चलता है। बाकी चीजों की भी आवश्यकता होती है। उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली की हर महिला को हर महीने एक हजार रूपए देगी, शायद उससे हमारी कुछ मदद हो जाए।

कानून-व्यवस्था का मुद्दा

इसके बाद महिलाओं को सबसे ज्यादा सुरक्षा का मुद्दा परेशान करता है। अलकनंदा में रहने वालीं पूनम अरोड़ा का कहना है कि निर्भया मामले के बाद जरूर कुछ सुरक्षा का माहौल बना था लेकिन अब फिर से वैसे ही हो गया है। महिलाओं को रात में घर से निकलने में डर ही लगता है। इस स्थिति में बदलाव की बहुत जरूरत है। इसके अलावा पूनम ने कहा कि देश में हिंदू-मुसलिम के नाम पर बंटवारा नहीं होना चाहिए। सुबह से शाम तक वाट्सएप पर हिंदू मुसलिम के संदेश आने लगते हैं। ये बंद होने चाहिए। देश सभी भारतवासियों का है।

डीयू से स्नातक रहीं दीपांशी का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बड़ रही है। अभी हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और जल्द ही दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच जाएंगे। दीपांशी का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था ठीक रहती है तो बेरोजगारी की समस्या नहीं रहेगी। हम जैसे युवाओं को रोजगार मिलेगा। युवा स्टार्टअप शुरू कर पाएंगे। दीपांशी ने कहा कि दिल्ली में बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त सवारी की सुविधा अच्छी है लेकिन बसों में महिलाओं सुरक्षा के लिए और कदम उठाए जाने चाहिए।

रोजगार की स्थिति

नमिता शर्मा का कहना है कि देश में रोजगार की स्थिति बहुत खराब है। उन्होंने बताया कि मैंने एमबीए किए एक लड़के को ई-रिक्शा चलाते हुए देखा है। बेरोजगारी की समस्या को गंभीरता से लेकर हल करने की आवश्यकता है। वहीं, सरकार आज भी लोगों को आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने में फेल हो चुकी है। सरकार को चाहिए कि वह ऐसी योजना बनाएं कि महिलाओं की सुरक्षा का अहसास हो। नमिता का कहना है कि दिल्ली में सार्वजनिक शौचालयों की सुविधा में सुधार की बहुत जरूरत है। उन्होंने कई शहरों में शुरू किए गए ‘पिंक शौचालयों’ की तरह ही दिल्ली में भी ऐसी सुविधा शुरू करने की जरूरत पर बल दिया।

दिल्ली में पानी की समस्या

वहीं, संगम विहार में रहने वाली कमलेश का कहना है कि मेरे क्षेत्र में तो पानी का संकट बहुत बड़ा मुद्दा है लेकिन कोई भी पार्टी इसका हल नहीं निकाल पा रही है। इसके अलावा सफाई और जाम लगना भी बड़ी समस्या है। इनके चलते महिलाओं को रोज मशक्कत करनी पड़ती है। दिल्ली की सातों सीट पर भाजपा और कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है। भाजपा ने इस बार दो महिला उम्मीदवारों को नई दिल्ली से बांसुरी स्वराज और पश्चिमी दिल्ली से कमलजीत सेहरावत को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस और आप ने किसी भी महिला उम्मीदवार पर भरोसा नहीं किया है। 1951 से अब तक दिल्ली से केवल नौ महिलाएं लोकसभा के लिए चुनी गई हैं, जिनमें सुचेता कृपलानी, सुषमा स्वराज, मीरा कुमार, कृष्णा तीरथ और मीनाक्षी लेखी जैसे उल्लेखनीय नाम शामिल हैं।