Iram Siddique
मध्य प्रदेश में 23 साल के भीतर एक महिला ने 15 बच्चों को जन्म दिया और 16वें शिशु को जन्म देते समय उसकी मौत हो गई। मामला दमोह जिले के बटियागढ़ तहसील के पधजारी गांव में बाहरी इलाके का है। मृतक सुखरानी अहिरवार (45) की 23 वर्षीय बेटी सविता ने बताया कि उनकी झोपड़ी से पांच किमी से भी कम दूसरी पर स्थित हॉस्पिटल में अधिक खून बह जाने से उनकी मां की मौत हो गई।
करीब दो साल पहले अपनी मां से आखिरी मुलाकात को याद कर सविता ने बताया, ‘मैंने अपनी मां को नसबंदी कराने के लिए समझाने की कोशिश की मगर वो और पिता इससे सहमत नहीं हुए। मैंने उन्हें बताया कि मैंने खुद अपने सुसराल वालों को बिना बताए नसबंदी के लिए पंजीकरण कराया और ऑपरेशन कराया।’ बता दें कि सुखरानी जब 15वीं बार गर्भवती हुईं तब भी वो गंभीर रूप से बीमार थीं।
पधजारी गांव में शिशु जन्म के रिकॉर्ड रखने वाली आशा वर्कर से पता चलता है कि सुखरानी ने साल 1997 में अपने पहले शिशु (लड़की) को जन्म दिया, उनकी चार बेटियां और भी हैं। उन्होंने साल 2005 में छठे शिशु को जन्म दिया। तब जुड़वा बच्चे लड़का और लड़की हुए। इसके बाद भी उनकी गर्भावस्था जारी रही और 2009 से 2020 के बीच उन्होंने पांच और बच्चों को जन्म दिया। तीन गर्भपात कराए। कुल मिलाकर उनके आठ बच्चों की मौत हो गई।
आशा वर्कर कल्लो बाई विश्वकर्मा ने बताया कि वो सुखरानी को मेडिकल कैंप ले गईं और नसबंदी कराने की कोशिश की मगर कथित तौर पर अपने पति के दबाव में शुरुआती जांच के बाद चली गईं। बटियागढ़ सिविक हॉस्पिटल के चीफ मेडिकल ऑफिसर आरआर बागरी ने बताया कि सिर्फ सविता ही सुखरानी को लेकर चिंतित नहीं थी बल्कि उनके पिछले रिकॉर्ड ने जिला प्रशासन को भी चिंतित कर दिया था। उन्होंने बताया कि सुखरानी की काउंसलिंग की गई और 15वीं गर्भावस्था के बाद नसबंदी की सलाह दी गई।
बागरी के अनुसार वो हिचकिचा रही थीं और उन्होंने सोचा कि वो पहले ही चालीस की उम्र पार कर चुकी है, और जल्द ही मासिक धर्म आने बंद हो जाएंगे। हालांकि अगर उनकी बेटियां साथ होती तो नसबंदी के लिए उन्हें मनाया जा सकता था।